हल्द्वानी: लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है…
हल्द्वानी, अमृत विचार। कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है, उस नवासे पर मोहम्मद को नाज है… यूं तो लाखों सिर झुके सजदे में, लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है…. इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मुहर्रम है। मुसलमानों के लिए ये सबसे पाक महीना होता है। …
हल्द्वानी, अमृत विचार। कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है, उस नवासे पर मोहम्मद को नाज है… यूं तो लाखों सिर झुके सजदे में, लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है…. इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मुहर्रम है। मुसलमानों के लिए ये सबसे पाक महीना होता है। इस महीने से इस्लाम का नया साल शुरू हो जाता है।
मोहर्रम माह के 10वें दिन यानी 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है। आशुरा के दिन ताजियादारी की जाती है। इन दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी। इसलिए इस माह को गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है।
आज हल्द्वानी में अकीदत और सादगी के साथ इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया और जुलूस निकाला गया। शहर के वनभूलपुरा, लाइन नंबर 17 में इंद्रा नगर, लाइन नंबर 16 और अन्य जगहों से मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा बनाये गए आकर्षक ताजिए लाए गए। जिसके बाद ताजियों का जुलूस शहर की अलग अलग जगहों पर होता हुआ 17 नंबर गली में वापस आया। जिसके बाद देर शाम ताजियों को या हुसैन के नारों के साथ कर्बला में दफन कर दिया गया।