IIT Kanpur: युवाओं के हुनर और हौसले का महोत्सव, अंतराग्नि शुरू, देशभर के 4 सौ से अधिक कॉलेज व संस्थान से आए युवा हुए शामिल
पूरे विश्व से 3.5 लाख से अधिक दर्शक ऑनलाइन जुड़े, बिखरी प्रतिभा
कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर के वार्षिक सांस्कृतिक युवा महोत्सव अंतराग्नि की शुरुआत गुरुवार को हुई। महोत्सव शुरुआत होते ही देशभर से आए युवाओं के हौसलों और हुनर को उड़ान भी मिली। समारोह में इस बार 4 सौ से अधिक संस्थान व कॉलेज शामिल हुए हैं।
उधर पहले दिन साहित्य कार्यक्रम ‘अक्षर’ में विद्वानों ने युवाओं के बीच साहित्य के छुए अनछुए पहलुओं को परोसा। देर शाम तक युवाओं की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहीं। आईआईटी कानपुर में महोत्सव के पहले दिन युवा मन में उत्साह भर गया।

कार्यक्रम की शुरुआत होने से पहले ही संस्थान परिसर में अपने इवेंट से संबंधित प्रेक्टिस शुरू हो गई। समारोह में युवा समूह में बंटकर नृत्य व गीतों का अभ्यास कर रहे थे। युवाओं की ओर से हो रहा यह अभ्यास माहौल को भव्य कर रहा था। दिल्ली व बंग्लुरू से आए कॉलेजों की टीम की ओर से वाद्ययंत्रों पर भी अभ्यास किया जा रहा था।

इस दौरान युवाओं की टीमों ने पहली बार दूसरी टीमों की तैयारी भी परखी। उधर अंतराग्नि के पहले दिन ‘अक्षर’ इवेंट ने युवाओं को आकर्षित किया। इस आयोजन में युवाओं ने सांस्कृतिक संगीत के साथ ही साहित्यकार ‘मुंशी प्रेमचंद के माध्यम से बनारस’ को भी समझा। इसके अलावा युवाओं के बीच हुए इवेंट में ऋतंभरा का पहला राउंड हुआ। देर रात तक आयोजन में युवा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर वाहवाही लेते रहे।

नए परिसर को समझा
अंतराग्नि में देशभर से आए युवाओं ने पहले दिन पूरा आईआईटी कानपुर परिसर घूमा। इस दौरान उन्होंने संस्थान के कई युवाओं के साथ बातचीत भी की। इस बातचीत में यहां की पढ़ाई, तकनीकी सुविधाएं, शोध क्षेत्र में उपलब्धियां पर चर्चा की। कई युवाओं ने आयोजन कमेटी में संरक्षक के रूप में शामिल शिक्षकों से भी इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उधर दूसरे संस्थानों से आए युवाओं ने संस्थान में हिन्दी सहित अन्य भाषाओं पर कार्य करने वाले शिवानी केंद्र के बारे में भी विस्तार से समझा। पहले दिन ‘अक्षर’ के दौरान यवाओं ने कार्यक्रम में आए साहित्यकारों से भी बातचीत की।

मुंशी जी जैसी कल्पना फिल्मों में नहीं
समारोह में सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों में गुरुवार को साहित्यकार व्योमेश शुक्ला ने ‘प्रेमचंद और बनारस के बीच संबंधों’ की एक यादगार प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने अपनी विशेष संबोधन शैली में बनासर की गलियों से ‘मुंशी जी’ का जुड़ान समझाया। कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कल्पनाओं का मुकाबला आज के फिल्म बनाने वाले नहीं कर सकते। वह उन कल्पनाओं तक सोंच भी नहीं सकते।

इसी तरह इस इवेंट में हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा द्वारा दास्तान-ए कैफी आजमी का सम्मोहक वर्णनात्मक प्रदर्शन किया गया। उधर स्वर संध्या में मोहम्मद वकील और समूह द्वारा गजलों की एक शाम, और सिद्धार्थ सिंह द्वारा प्रस्तुत उत्तर प्रदेश के लोकगीत नामक एक संगीत समारोह आयोजित हुआ।
बनारस का पान, नशा नहीं सुरुचि: साहित्यकार व्योमेश शुक्ला
बनारसी ‘पान’ बनारस के लिए नशा नहीं बल्कि सुरुचि और स्वाद है। पान के साथ रिश्ता धर्म और आध्यात्म का भी है। पान के पत्ते पर जब सुपाड़ी रख प्रभु पर अर्पित किया जाता है तो वह आध्यात्म से जुड़ जाता है। पान से उसका आध्यात्मिक महत्व नहीं छीना जा सकता। यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार व्योमेश शुक्ला का। वे गुरुवार को आईआईटी कानपुर में वार्ता कर रहे थे। बनारस के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बनारस नेगेटिव और पॉजटिव दोनो का शहर है। बनारस में पर्यटक अब बढ़े हैं। पर्यटक बढ़ने के साथ ही वहां पर बाजार भी बढ़ा है, लेकिन यह बाजार बनारस का मुख्य बाजार नहीं है, यह बहुत छोटा हिस्सा है।

बनारस का असल बाजार वहां का रेशम बाजार है। यह बहुत बड़ा हिस्सा है। इस बाजार की वजह से वहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी फैशन जगत से जुड़े लोग वहां पर पहुंचते हैं। इसलिए बनारस के रेशम बाजार को ही वहां का मुख्य बाजार माना जाना चाहिए। वार्ता के दौरान उन्होने कानपुर और बनारस के बीच तुलना करते हुए कहा कि कानपुर शहर को अवसर बहुत अधिक मिले हैं। बनारस को अवसर बहुत कम मिले हैं।

कला व संस्कृति से जुड़ते युवा
अंतराग्नी और अक्षर युवाओं के लिए साल में एक बार कला व संस्कृति का महोत्सव है। इस महायज्ञ से जुड़कर देशभर से आने वाले युवा अपनी प्रतिभा की आहूति महायज्ञ में अर्पित कर खुद को निखारते हैं। यह कहना है फैकेल्टी क्वार्डिनेटर अंतराग्नि व अक्षर प्रो आर्क वर्मा का।

वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ से सीखा गया हर एक पल युवाओं को जीवनभर काम आता है। यहां तक कि वे अपने सीवी में भी अंतराग्नि व अक्षर से जुड़ाव को बयां करते हैं। इसके अलावा इन इवेंट में लगभग 25 से 30 हजार युवा सीधेतौर पर जुड़ाव रखते हैं। एक ही परिसर में इतने युवाओं की रुचि समझना भी अपने आम में एक बड़ा टास्क होता है। यहां पर हर युवा कुछ न कुछ सीखता है। चार दिन की यात्रा में यह सीख उन्हें जीवनभर तक काम आती है।
