नैनीताल का अर्थ-
माना जाता है कि देवी सती की आंख इस जगह पर गिर गई थी, जिसके बाद इस जगह का नाम नैनीताल पड़ गया। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत में नैना देवी भी भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
माना जाता है कि देवी सती की आंख इस जगह पर गिर गई थी, जिसके बाद इस जगह का नाम नैनीताल पड़ गया। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत में नैना देवी भी भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
यह शहर कई सदियों पुराना माना जाता है। एंग्लो-नेपाली युद्ध के बाद कुमाऊं हिल्स ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया, जिसके बाद एक चीनी व्यापारी पीटर बैरन द्वारा प्रथम ब्रिटिश कॉलोनी के निर्माण के साथ ही नैनीताल के पहाड़ी शहर की स्थापना वर्ष 1841 में की गई।
सैर सपाटे के लिये माल रोड सैलानियों के घूमने के लिए अच्छी जगह है। वहीं, बैंड स्टैंड पर लोगों की आवाजाही काफी ज्यादा रहती है। इसके साथ ही नैनीताल का तिब्बति बाजार और बड़ा बाजार में भी पर्यटकों की बहुत आवाजाही रहती है।
नैनीताल में हिमालय दर्शन करने के अलावा पंगूट, किलबरी, खुर्पाताल, सडियाताल झरना, स्नोव्यूह और हनुमानगढ़ी में भी आसानी से घूम सकते हैं। नैनीताल से अगर बाहर जाना है तो श्यामखेत टी गार्ड़न, घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर, कैंची धाम मन्दिर और काकडीघाट जैसे पर्यटन स्थल हैं।
लगभग एक किलोमीटर की दूरी के लिये बने इस रोपवे में आने-जाने के लिये 2 से 3 मिनट का ही समय लगाता है। इसके लिए एक बार में 10 से 12 सवारियां रोपवे का लुफ्त उठा सकती हैं।
नैनीताल में खरीदारी करने के लिए माल रोड शहर का प्रसिद्ध बाजार है। इसके साथ ही यहां पर खाने-पीने की दुकाने, ठहरने के लिये होटल आदि मिल जायेंगे।
हल्द्वानी, रामनगर, कालाढूंगी, भीमताल और भवाली आदि नैनीताल शहर के आस-पास की प्रसिद्ध घूमने वाली जगहें हैं। रामनगर की हरियाली पर्यटकों को खूब लुभाती है।
ठंडी सड़क के पास नैनीताल का पुराना बस स्टैंड है। जहां से आपको दिल्ली व उत्तरखंड के विभिन्न शहरों में जानें हेतु बस सेवायें 24 घंटे उपलब्ध हैं।
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