1- त्रिम मेधा (एआई)
कंपनियां उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकियां अपना रही हैं जबकि नई पीढ़ी के पेशेवर कार्यस्थल पर कृत्रिम मेधा (एआई) का फायदा उठाने के लिए उत्सुक और रोमांचित हैं।
कंपनियां उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकियां अपना रही हैं जबकि नई पीढ़ी के पेशेवर कार्यस्थल पर कृत्रिम मेधा (एआई) का फायदा उठाने के लिए उत्सुक और रोमांचित हैं।
एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है। इस रिपोर्ट में 'मिलेनियल्स' और 'जेन एक्स' श्रेणी के पेशेवरों का खास तौर पर उल्लेख किया गया है। वर्ष 1965 और 1980 के बीच पैदा हुए लोगों को ‘जेन एक्स’ कहा जाता है जबकि ‘मिलेनियल्स’ का जन्म 1981 और 1996 के बीच हुआ था। इसके अलावा 1996 और 2010 के बीच पैदा हुए लोगों को ‘जेन जेड’ कहा जाता हैं।
लिंक्डइन इंडिया की संपादकीय प्रमुख एवं करियर विशेषज्ञ निराजिता बनर्जी ने कहा, “जहां जेन जेड और मिलेनियल्स ने हमेशा ही अधिक तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया है, वहीं जेन एक्स पेशेवरों को भी उसी उत्साह के साथ एआई को अपनाते हुए देखना नया अनुभव है। इन तीन पीढ़ियों के ही पेशेवर अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, काम संबंधी चुनौतियों को समझने और काम एवं जीवन के बीच सार्थक संतुलन बनाने के लिए एआई का लाभ उठा रहे हैं।
सर्वेक्षण में शामिल सभी आयु वर्ग के पेशेवरों के बीच थोड़ी-बहुत हिचक बनी हुई है लेकिन वे इस बात को लेकर रोमांचित भी हैं कि एआई से उनके करियर में सकारात्मक बदलाव आएंगे।