1- GIS और ‘रिमोट सेंसिंग

भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और ‘रिमोट सेंसिंग’ तकनीक का उपयोग करके जलभराव प्रभावित क्षेत्रों और बरसाती जल निकासी नेटवर्क का मानचित्रण करने से हर साल मानसून के दौरान होने वाली डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों ने अनुसार जलभराव से मच्छरों, विशेष रूप से डेंगू फैलाने वाले ‘एडीज’ मच्छर के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं।

2- बीमारियों को नियंत्रित करने पर काम

अधिकारियों ने मानसून के दौरान फैलने वाली बीमारियों को नियंत्रित करने पर काम तेज कर दिया है तो दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने वाला एक मजबूत मॉडल होना चाहिए, जो समय रहते समस्या का समाधान करके जलभराव की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों में डेंगू के प्रसार को रोक सके।

3- कंप्यूटर प्रणाली

जीआईएस पृथ्वी की सतह पर स्थिति से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए एक कंप्यूटर प्रणाली है, जबकि रिमोट सेंसिंग किसी क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं का पता लगाने और निगरानी करने की प्रक्रिया है। जलभराव प्रभावित क्षेत्रों और बरसाती नालों की समय-समय पर निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ये प्रौद्योगिकियां काफी लाभदायक साबित हुई हैं।

4- विशेषज्ञों का सुझाव

विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्रभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए एक मजबूत जीआईएस-आधारित मॉडल बीमारी की रोकथाम की योजना बनाने और उस पर काम करने में अधिक प्रभावी हो सकता है।