1- सांस से संबंधित रोग

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सांस से संबंधित रोगों में वृद्धि और वायु प्रदूषण का एक दूसरे से संबंध है और सरकार को प्रति परिवार कारों की संख्या सीमित करने तथा एक समय में सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या तय करने वाली नीति पेश करनी चाहिए।

2- श्वांस रोग सम्मेलन

इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा यहां आयोजित 25वें राष्ट्रीय श्वांस रोग सम्मेलन के मौके पर जयपुर गोल्डन अस्पताल में ‘पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर’ विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश के. चावला ने कहा कि वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

3- डॉक्टर राकेश ने बताया

कि तत्काल प्रभाव आंखों और गले में जलन के रूप में होते हैं। इसके अलावा, दमे का दौरा पड़ने की गंभीरता में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने अगे कहा कि वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों में श्वसन संबंधी बीमारियां और फेफड़ों का कैंसर शामिल हैं, और सबसे बुरी बात यह है कि दिल्ली जैसे शहर में हमारे बच्चों में फेफड़ों की समस्याएं बढ़ रही है, जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों के विकार गंभीर रूप ले लेंगे।