बाराबंकी: कागजों में सिमट कर रह गई जमुरिया नाले की सफाई का अभियान

बाराबंकी: कागजों में सिमट कर रह गई जमुरिया नाले की सफाई का अभियान

बाराबंकी, अमृत विचार। नगर पालिका प्रशासन ने बीते कुछ महीने पहले जमुरिया नाले की सफाई का अभियान चलाया। थोड़ी सफाई के बाद अभियान ठप हो गया। सफाई के नाम पर औपचारिकता ही निभाई गई। जमुरिया नाले की सफाई के साथ छोटे बड़े नाले और सीवर की सफाई को लेकर अगर जिम्मेदारों की नींद न टूटी तो मानसून आने पर शहरवासियों को एक बार फिर बाढ की विभीषिका का दंश झेलना पड़ सकता है।

जमुरिया नाले में आस पास के नालों से आकर पानी गिरता है। सफाई न होने के कारण जमुरिया नाले के जल का प्रवाह थम जाता है। यही नही कूड़े करकट के ढेर से पटा यह नाला सिकुड़ता ही जा रहा है। सफाई न होने की वजह से नाले का जल का प्रवाह तो थम ही गया है साथ ही जमुरिया का फैलाव भी धीरे संकुचित होता जा रहा है।

यही कारण है कि बरसात में मूसलाधार बारिश होने से जमुरिया नाला उफना जाता है और जमुरिया का पानी आस पास के मुहल्लों व शहर मे लोगों के घरों में घुस जाता है। जिससे जान माल के साथ साथ लाखों रूपये का नुकसान आमजनता को झेलना पड़ता है। 

संक्रामक रोगों के फैलने का रहता है खतरा

जमुरिया नाले में कूड़ा करकट व गन्दगी फैलने की वजह से आस पास के गांधी नगर, नेहरू नगर, घोसियाना, सत्यप्रेमी नगर सहित नाले के किनारे बसे लोगों को संक्रमण जनित बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। 


पिछले साल आये मानसून से सहम गया था जिला

कभी ज्यादा समय नही बीता जब बाढ ने पूरे शहर को अपनी आगोश में ले लिया था। बाढ की वजह से लोगों की जाने गई। पूरा शहर नदी के मानिंद दिख रहा था। प्रसाशन की टीमें लगातार तीन से चार दिनो तक राहत और बचाव कार्य में लगे थे लोगों को घरों से निकालने के लिए पुलिस व NDRF की टीम का सहारा लिया गया और लोगों को एक-एक कर नांव से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुचाया गया। लगातार तीन चार दिनों तक बाढ़ राहत और बचाव को लेकर प्रशासन हलकान रहा। जब जाकर कही स्थितियां धीरे धीरे सामान्य हो सकी।

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