बरेली: मुस्लिम बहुल इलाकों में बदले-बदले से हैं लोगों के सुर, बोले- धर्म की ही बात करें धर्मगुरु

बरेली: मुस्लिम बहुल इलाकों में बदले-बदले से हैं लोगों के सुर, बोले- धर्म की ही बात करें धर्मगुरु

बरेली, अमृत विचार : हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। यह कुदरत का नियम है और विज्ञान का भी लेकिन यही नियम सियासत में भी सियासी लोगों के बारे-न्यारे कर देता है। शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों की जुबां पर इस तरह की बातें काफी हैरत पैदा करने वाली हैं। हाल ही में पहले आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी और उसके बाद आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां मुसलमानों से इस चुनाव में नोटा का बटन दबाने की अपील कर चुके हैं, लेकिन इस पर आम मुसलमानों का जवाब साफ करता है कि धार्मिक मुद्दों के आधार पर अब ऐसी अपीलें उन्हें ज्यादा प्रभावित नहीं कर पा रही हैं।

जुमे की नमाज की वजह से शुक्रवार को मुस्लिम बहुल इलाकों में कारोबारी छुट्टी का दिन था। फुर्सत के पलों में लोगों के बीच चुनाव पर चर्चा लाजमी थी। इसी दौरान कंघी टोला इलाके में मस्जिद से नमाज अदा कर निकले लोगों के बीच मौलाना तौकीर और मौलाना शहाबुद्दीन की अपील का जिक्र छिड़ा तो परवेज नूरी कहने लगे कि चुनाव में अपील करने वालों का अपना नजरिया होता है। पहले भी ऐसी अपीलें होती रहती है, कई बार इनका असर भी हुआ है, लेकिन अब लोगों की सोच बदलने लगी है। जो अपील हजम नहीं होती, उसे नकार दिया जाता है। नफरती सियासत को बढ़ावा देने वाली कोई अपील अब मुसलमानों को प्रभावित नहीं कर पा रही है।

आसिफ मिर्जा ने कहा कि कोई नोटा दबाने को कहे या किसी प्रत्याशी को जिताने के बारे में, लोगों के बीच इस बार विकास और जरूरतें पूरी होने का मुद्दा छाया हुआ है। अब सोच यह भी है कि देश में भाईचारा बना रहे। इमरान खान बोले, मजहबी कयादत की बात हो तो धर्मगुरुओं का हुक्म सिर-आंखों पर लेकिन सियासी फैसले तो हर किसी को खुद सोच-समझकर लेने का हक है। लोग इस बार ऐसे ही मूड में हैं।

अमजद खान का कहना था कि पांच साल बाद वोट करने का मौका मिलता है। नौकरियों और खराब सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दे आम मुसलमानों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। बरेली के जिला अस्पताल में बड़े-बड़े रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर तक नहीं। 10 साल तक हवाई दावे ही ही सुनते रहे। हारून मिर्जा ने कहा कि देश को हिंदू मुस्लिम की राजनीति में अब और न उलझाया जाए। कारोबार बढ़ेगा तो देश खुद आगे बढ़ेगा। लोगों को पता है कि रहनुमाई की आड़ में कौन जहर की राजनीति कर रहा है।

लोगों को उनकी मर्जी पर छोड़ दें, इतना काफी
सैयद अजीम मियां ने कहा कि मुसलमान शिक्षा में काफी पीछे है, इसीलिए भटक जाता है। सबसे पहले इसी खाई को पाटने की जरूरत है। चुनाव तो हर पांच साल बाद चुनाव आता रहेगा, इसके लिए किसी से बैर पालना कोई समझदारी नहीं है। चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री के मंगलसूत्र वाले बयान का जिक्र हुआ तो कहकहे छूटने लगे। मोहम्मद जावेद बोले, ऐसे बयानबाजी से बचना चाहिए। जो लोग नोटा दबाने की अपील कर रहे हैं, उन्हें भी यह अपील नहीं करनी चाहिए। लोगों को उनकी मर्जी और समझदारी पर छोड़ देना चाहिए। मुसलमानों के लिए इतना ही काफी होगा।

कारोबार में बेहतरी के लिए करेंगे वोट
नए मतदाता राहिल खान ने बताया कि वह इस चुनाव में पहली बार मतदान करेंगे। वह छात्र हैं लिहाजा अपने भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें युवाओं को रोजगार देने वाली सरकार चाहिए। युवा वोटर हम्माद खान ने बताया कि वह बुटीक चलाते हैं। इस बार चुनाव में पहली बार नौकरियों और कारोबार में बेहतरी के लिए वोट करेंगे।

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