तनातनी के बीच

तनातनी के बीच

अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है। चीन अमेरिका को टक्कर देने के लिए हर क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ा रहा है वहीं अमेरिका भी पीछे नहीं है। इस बीच चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने कहा कि अमेरिका की शीत युद्ध की मानसिकता फिर हावी हो रही है। एशिया-पैसिफिक में नाटो जैसे सैनिक संगठन खड़े करने से पूरा इलाका अशांत होकर रह जाएगा।

हालांकि इस बयान में कोई नई बात नहीं है, क्योंकि चीन पहले भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की खेमेबंदी की कोशिशों का विरोध करता रहा है। अमेरिका ने हाल के सालों में ऐसे कई सैन्य और असैन्य समझौते और साझेदारियां की हैं, जिन्हें मूलतः चीन के प्रभाव की काट के तौर पर देखा जाता है। इन गुटों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन का आकुस, न्यूजीलैंड के साथ फाइव आइज और भारत, जापान व ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड शामिल हैं।

इन्हीं गुटों की ओर इशारा करते हुए सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग नामक सुरक्षा सम्मेलन में ली शांगफू ने कहा कि आज एशिया-प्रशांत क्षेत्र को समावेशी सहयोग की जरूरत है ना कि छोटे-छोटे समूहों में गुटबाजी की। इससे पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा था कि चीन के बातचीत नहीं करने की वजह से दोनों देशों के बीच ताइवान, साउथ चाइना सी को लेकर जारी गतिरोध खत्म नहीं हो पा रहा है।

बताते चलें कि जब सिंगापुर में यह सम्मेलन चल रहा था, तब शनिवार को अमेरिका और कनाडा ताइवान की खाड़ी में अपने नौसैनिक जहाज तैनात कर रहे थे। इसके जवाब में चीन ने अपने एक सैन्य जहाज को अमेरिकी जहाज के आमने-सामने कर दिया। ताइवान की खाड़ी को दुनिया के सबसे खतरनाक और संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष हुआ तो यह दुनिया के लिए परेशानी लेकर आएगा। ऐसे में देखना होगा कि चीन व अमेरिका की तनातनी के बीच एशिया में शक्ति संतुलन स्थापित करने में भारत की कितनी अहम भूमिका हो सकती है। सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से व्यापक चर्चा करने के बाद कहा कि मुक्त, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है।

भारत को ऐसी दीर्घकालीन सामरिक व आर्थिक नीति बनानी होगी कि अमेरिका-चीन के बीच तनातनी का लाभ भारत को पहुंचे। साथ ही  हिंद महासागर समेत अन्य क्षेत्रों में अपने सामरिक और आर्थिक लाभ की सुरक्षा करने के लिए ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।