पीएम का महत्वपूर्ण दौरा

पीएम का महत्वपूर्ण दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार व मंगलवार को मास्को में रहेंगे। वे वहां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री की यात्रा को रूस-भारत संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली रूस यात्रा है। उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है। खास बात है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति लगातार बातचीत, कूटनीति और दोनों पक्षों को शामिल करने वाले समझौते के पक्ष में है।

जानकारों के मुतबिक बातचीत में रक्षा, तेल और गैस प्रमुख एजेंडा होंगे। रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर भारत पश्चिमी देशों के दबाव के आगे झुका नहीं है और घरेलू हितों का हवाला देते हुए रियायती दरों पर रूस से तेल खरीद रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को हल करना भी नेताओं के एजेंडे में प्राथमिकता में होगा। यूक्रेन युद्ध के बाद से तेल खरीद में वृद्धि के कारण रूस से भारत का आयात लगभग 60 बिलियन डॉलर था, जबकि रूस को भारत का निर्यात लगभग 4 बिलियन डॉलर है।

गौरतलब है कि भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं। शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मजबूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया। रूस ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र भारत में बनाया है। जबकि भारत ने कई देशों के साथ कई असैन्य परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, रूस अब तक भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालित करने वाला एकमात्र विदेशी देश है।

रूस भारत के लिए सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक मोड़ पर ला दिया, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है। यानि रूस और अमेरिका के बीच बिगड़ते संबंध और रूस की चीन के प्रति बढ़ती निर्भरता के दौर में पीए मोदी का दौरा रूस के चीन की ओर आ रहे झुकाव को संतुलित करना है। दौरे का सीधा संदेश है कि भारत के अपने हित सर्वोपरि है और वह किसी के दबाव में आने वाला नहीं है। कहा जा सकता है यह दौरा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा।