कश्मीर में आतंक

कश्मीर में आतंक

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ लगातार विशेष ऑपरेशन चलाया जा रहा है लेकिन आतंकवाद अब भी कायम है। सोमवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के सुदूर माचेड़ी इलाके में आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर गोलीबारी की। गोलीबारी में दो सैनिक घायल हो गए। आतंकवादियों की यह हरकत पुलवामा हमले जैसी थी।

यह इलाका भारतीय सेना की 9वीं कोर के अंतर्गत आता है। एक दिन पहले रविवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों ने राजौरी जिले के मंजाकोट इलाके के गुलाठी गांव में प्रादेशिक सेना के शिविर पर सुबह करीब चार बजे गोलीबारी की। गोलीबारी में एक सैनिक घायल हो गया। जम्मू-कश्मीर में हाल के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर सुरक्षा
व्यवस्था को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

एक ओर सरकार का दावा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ाई अंतिम चरण में है, बीते 10 वर्षों में आतंकी घटनाओं में बड़े स्तर पर कमी आई है। लेकिन हर आतंकी हमले के बाद सरकार के दावे खोखले नजर आते हैं। जम्मू-कश्मीर में अब अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्तान नई साजिश रच रहा है। आतंकवादी अब ज्यादा घातक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि राज्य में भय के माहौल का स्तर पांच साल पहले की तुलना में कम है। पिछले दिनों मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने छह आतंकियों को मार गिराया था। दो जवान भी शहीद हुए थे।

अधिकारियों के अनुसार, मारे गए आतंकी हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ेथे। इनमें एक पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी संगठन का स्थानीय कमांडर भी था। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वैन ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराना बड़ी उपलब्धि है। सुरक्षा माहौल को मजबूत करने की दिशा में यह मील का पत्थर है।

स्वैन ने कहा कि ऑपरेशन की सफलता इस बात का संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक के खात्मेकी लड़ाई 
अंजाम तक पहुंचेगी। एक महीने में सुरक्षाबलों ने नौ आतंकियों को मारा है। फिर भी जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर और सतर्क रहने की जरूरत है। राजौरी-पुंछ में सक्रिय आतंकवादी खास प्रशिक्षण प्राप्त हैं। आतंकियों का समर्थन करने वाले बड़ी चुनौती बनकर उभरे रहे हैं।

पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों के बीच बिना किसी रुकावट के निरंतर समन्वय, कमजोर क्षेत्रों की पहचान और ऐसे क्षेत्रों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने पर जोर दिया। यह भी सही है कि जब तक वहां के यवुाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के समुचित प्रबंध नहीं किए जाते आतंकी संगठन उन्हें मोहरा बनाते रहेंगे।