बरेली: धान खरीद में हेराफेरी का खामियाजा भुगत रहे किसान

बरेली: धान खरीद में हेराफेरी का खामियाजा भुगत रहे किसान

बरेली, अमृत विचार। धान हो या गेहूं, शासन व जिला प्रशासन इसमें पारदर्शिता के दावे तो करता है, लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता। हर सीजन में बिचौलिया मौज करते हैं और किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। यहीं वजह है कि जिले के तमाम किसान एक साल से अपनी फसल का दाम …

बरेली, अमृत विचार। धान हो या गेहूं, शासन व जिला प्रशासन इसमें पारदर्शिता के दावे तो करता है, लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता। हर सीजन में बिचौलिया मौज करते हैं और किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। यहीं वजह है कि जिले के तमाम किसान एक साल से अपनी फसल का दाम लेने के लिए अफसरों के कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं। अधिकारी भी खुद का बचाव करने को जिले की राइस मिलों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। वजह यह है कि गड़बड़ी के मामले में जिले की पांच राइस मिलों पर कार्रवाई की जा चुकी है। इनमें एक राइस मिल को छोड़कर बाकी मिलों पर प्रशासन का ताला लटका है।

दरअसल, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर वर्ष 2020-21 में किसानों से धान खरीद की गई। सरकार का दावा है कि 72 घंटे में किसानों के धान का भुगतान होगा। लेकिन, शायद ही कोई किसान ऐसा होगा, जिसका भुगतान इस अवधि में हुआ हो। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि पिछले साल नवाबगंज समेत कुछ अन्य जगहों की मंडियों के क्रय केंद्र पर धान बेचने वाले तमाम किसान ऐसे हैं, जिनका करोड़ों रुपये का अभी तक भुगतान ही नहीं हो सका है।

इसकी वजह यह है कि क्रय केंद्र से जिन राइस मिलों पर धान भेजा गया था। वह जमकर घोटाला हुआ। इसके बाद सीएमआर डिलीवरी पर रोक लगा दी गई। मिलर्स के यहां सीएमआर फंसा तो उन्होंने भुगतान करने से हाथ खड़े कर दिए। धान बेचने वाले सभी किसानों के पास रसीदें हैं। अधिकारी इसके बाद भी भुगतान दिलाने के बजाय टरका रहे हैं। एक-दूसरे की गलती बताकर किसानों को समझाकर घर भेज देते हैं। इसी तरह किसानों को एक साल हो चुका है। भुता के खरदा निवासी सीताराम का कहना है कि पिछले साल धान का रेट 1848 रुपये प्रति क्विंटल था।

अधिकारी 1400 रुपये क्विंटल मिल से दिलाने की बात कर रहे हैं। एक साल बाद हमारा भुगतान हो रहा है। अधिकारियों को चाहिए कि वह हमारे धान को नई खरीद में फीडिंग कराकर इस साल के रेट दिलाएं। नवाबगंज के पीड़ित किसान नरेश का कहना है कि धान खरीद के नाम पर उन्हें कई बार परेशान किया गया। एक साल बाद भी हम भुगतान के लिए भटक रहे हैं। इसलिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

एफपीओ संचालकों को भी फंसा पैसा
घोटालेबाज राइस मिलों पर प्रभावी तरीक से शिकंजा नहीं कसने का खामियाजा तो कई एफपीओ संचालक भी उठा रहे हैं। उन्होंने राइस मिलों को चावल बनाने के लिए धान भेजा, लेकिल मिलर्स ने चावल का उतरा नहीं किया।

इधर, एफपीओ के केंद्रों पर धान बिक्री करने वाले किसानों ने बकाया होने पर अफसरों से शिकायत की तो दबाव बनाकर कुछ किसानों का भुगतान कर दिया गया, लेकिन एफपीओ संचालकों की समस्या अब भी बरकरार है। राइस मिलर्स पर उनका लाखों रुपये फंस गया। इधर, कहा जा रहा है कि नवाबगंज की गोल्डन राइस मिल पर सबसे अधिक अफसर मेहरबानी दिखाए हैं, इसलिए पिछले दिनों सीएमआर डिलीवरी की अनुमित दिला दी गई।

शेष सीएमआर को लेकर पांच राइस मिलों की आरसी जारी करने के साथ ही डिबार किया जा चुका है। नवाबगंज की राइस मिल को पिछले दिनों शासन के निर्देश पर छूट दी गई थी, बाकी मिलों से जब तक रिकवरी नहीं होगी मिलों का ताला नहीं खुलेगा। -सुनील भारती, जिला खाद्य विपणन अधिकारी

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