एसजीपीजीआई : डॉक्टरों ने पहली बार लेजर तकनीक से सर्जरी कर मरीज को पायलोनिडल सिस्ट से दिलाई निजात

एसजीपीजीआई : डॉक्टरों ने पहली बार लेजर तकनीक से सर्जरी कर मरीज को पायलोनिडल सिस्ट से दिलाई निजात

लखनऊ, अमृत विचार। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई ) में पायलोनिडल सिस्ट से पीड़ित मरीज की लेजर सर्जरी की गई है। एसजीपीजीआई में पहली बार लेजर से इस बीमारी की सर्जरी हुई है। यह सर्जरी एसजीपीजीआई स्थित प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल ने की है। उन्होंने बताया कि लेजर से सर्जरी करने से यह बीमारी दोबारा नहीं पनपती है। 

दरअसल, पायलोनिडल साइनस रीढ़ की हड्डी के नीचे द्रव यानी की मवाद से भरा हुआ फोड़ा होता है। जिसे पायलोनिडल सिस्ट भी कहते हैं। प्रो. राजीव अग्रवाल ने बताया कि पायलोनिडल सिस्ट जन्मजात भी हो सकती है। बाद में यह संक्रमण और अधिक बढ़ सकता है। इसके अलावा यह समस्या रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में अधिक बालों की वजह से भी हो सकती है। इसके अलावा चोट, देर तक बैठना आदि भी इस रोग का एक कारण हो सकता है।

यदि समय पर इसका इलाज नहीं कराया जाय। तो धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती जाती है। फोड़े से मवाद और पानी का निकालना जारी रह सकता है, सामान्य सर्जरी या फिर प्लास्टिक सर्जरी से भी पायलोनिडल सिस्ट से मरीज को छुटकारा नहीं मिलता। प्रो.राजीव अग्रवाल ने बताया कि छुटकारा पाने के लिए लेजर हेयर रिमूवल पिलोनाइडल सिस्ट का सही इलाज है।

उन्होंने बताया कि पायलोनिडल सिस्ट के लिए लेजर सर्जरी अधिक प्रभावी उपचार है। जो कि एसजीपीजीआई में शुरू हो गई है।

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