देश की बेटियों के खिलाफ कार्रवाई अस्वीकार्य है: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 

देश की बेटियों के खिलाफ कार्रवाई अस्वीकार्य है: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 

रायपुर। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नयी दिल्ली में पहलवानों की गिरफ्तारी की आलोचना की है और कहा है कि देश की बेटियों के खिलाफ कार्रवाई अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इस बात की गारंटी है कि नए संसद भवन में स्थापित 'सेंगोल' (राजदंड) जो कि न्याय और सुशासन का प्रतीक है, को इस अर्थ में अपनाया जाएगा।

रायपुर में राजराजेश्वरी मंदिर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान शंकराचार्य ने कहा कि आदिवासियों को यह समझना चाहिए कि उनकी जड़ें हिंदुओं के समान हैं और राजनीति उन्हें चुनावी लाभ के लिए विभाजित करने की कोशिश करती है।

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे पहलवानों की गिरफ्तारी के बारे में पूछे जाने पर शंकराचार्य ने कहा, यदि किसी को किसी बात की शिकायत है तो इसकी जांच की जानी चाहिए। यदि सांसद निर्दोष हैं तब जांच के बाद उन्हें निर्दोष घोषित करने में क्या हर्ज है। उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब पूरा देश महिला सशक्तिकरण और बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की बात कर रहा है, हम बेटियों को घसीटते हुए देख रहे हैं। यह अस्वीकार्य है।

नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना पर टिप्पणी करते हुए, शंकराचार्य ने कहा, पुराने संसद भवन में अध्यक्ष की कुर्सी के ठीक ऊपर संस्कृत में पंक्ति लिखी हुई थी, जिसका अर्थ था जहां धर्म है, वहां विजय है लेकिन यह वास्तव में कितना हुआ है। शंकराचार्य ने कहा, इसलिएपंक्तियां लिखी जाती हैं, प्रतीक स्थापित किए जाते हैं लेकिन उसके वास्तविक अर्थों की उपेक्षा की जाती है।

क्या गारंटी है कि राजदंड (सेंगोल) के वास्तविक अर्थ की उपेक्षा नहीं की जाएगी। बस्तर में कुछ जनजातीय समूहों के द्वारा यह कहे जाने पर कि वे हिंदू नहीं हैं, उन्होंने कहा, आदिवासियों को यह समझना चाहिए कि उनकी और हिंदू की जड़ें समान हैं। शंकराचार्य ने कहा, वास्तव में हम सब एक हैं। बहुत पहले हम सभी वनवासी थे। हमारे पूजा करने के तरीके, जीने के तरीके सब एक जैसे हैं। हम एक हैं लेकिन नेता हमें बांटने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने कहा कि अलग होने से उन्हें कुछ समय के लिए अच्छा लग सकता है लेकिन हिंदू समुदाय से अलग होने से उनकी ताकत कम हो जाएगी। हमारी ताकत एकजुट रहने में है और हम विभाजन नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि राज नीति हमेशा समाज को खंडित करना चाहती है और इस तरह के प्रयास ब्रिटिश शासन के समय से होते रहे हैं।

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