अल्मोड़ा के ग्रामीण इलाकों में पेयजल को लेकर मची त्राहि-त्राहि
अल्मोड़ा, अमृत विचार। गर्मी बढ़ने के साथ ही जिला मुख्यालय समेत ग्रामीणों कस्बों में भी पेयजल को लेकर त्राहि त्राहि मचने लगी है। पेयजल आपूर्ति के लिए बनाई जा रही योजनाओं से लोगों को जरूरत के अनुसार पानी मिल ही नहीं पा रहा है। जबकि विभाग भी उपभोक्ताओं को टैंकरों से पानी की आपूर्ति करने में नाकाम ही साबित हो रहा है।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय की बात करें तो यहां की करीब एक लाख से अधिक की आबादी को कोसी नदी से मटेला पेयजल पंपिंग योजना के जरिए पानी लिफ्ट कर पेयजल की आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में नगर के अलग अलग इलाकों में प्रतिदिन पेयजल िी आपूर्ति के लिए करीब 18 से 20 एमएलडी पानी की जरूरत है।
लेकिन विभाग नगर को प्रतिदिन दस एमएलडी से अधिक पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। पेयजल की सबसे अधिक किल्लत का सामना जिले ग्रामीण कस्बों के लोगों को उठानी पड़ रही है। जिले के चौखुटिया विकास खंड में करीब पांच पेयजल पंपिंग योजनाओं के होने के बाद भी तीस से अधिक ग्राम पंचायतों में पेयजल का संकट बना हुआ है। लमगड़ा विकास खंड के भी अनेक इलाकों में लोग पेयजल की आपूर्ति ना होने से खासे परेशान हैं। यहां के लोग अब पीने के पानी के लिए स्थानीय धारों और नदियाें पर ही निर्भर हैं।
इस विकास खंड के लोगों को अधिकांश समय पीने के पानी की जुगत में ही खर्च हो रहा है। जिले के सल्ट विकास खंड में तो बीते एक महीने से पानी की आपूर्ति ठप है। गुलार और नैंकड़ा पैंसिया पेयजल लाइनों के जवाब देने के बाद करोड़ों रुपये की लागत से बनी कोटेश्वर-शशीखाल पेयजल योजना भी यहां के लोगों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है।
स्थानीय लाेगों का कहना है कि विभाग और कार्यदायी संस्था द्वारा कोटेश्वर पेयजल योजना के निर्माण में काफी अनियमितताएं बरती हैं। जिस कारण योजना होने के बाद भी ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। क्षेत्र के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर गर्मियों के मौसम में पेयजल आपूर्ति सुचारू नहीं की गई तो विभाग के खिलाफ उग्र आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।