पीलीभीत: पांच दिन निगरानी...10 मिनट का रेस्क्यू और एक डॉट में बाघिन बेहोश

वन विभाग के डा. दक्ष ने किया ट्रैंक्यूलाइज, दुधवा के एक्सपर्ट की मौजूदगी में हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन

पीलीभीत: पांच दिन निगरानी...10 मिनट का रेस्क्यू और एक डॉट में बाघिन बेहोश

पीलीभीत, अमृत विचार। पांच दिनों से गन्ने के खेतों और गोशाला परिसर में डेरा जमाए बैठी बाघिन का आतंक रविवार को खत्म हो गया। वन विभाग की टीम के द्वारा रेस्क्यू करने के बाद उसे पिंजरे में कैद कर जंगल ले जाएगा। जहां उसका परीक्षण करने के बाद उसे जंगल में छोड़ा जाएगा। अब विभाग की टीम क्षेत्र में उसके शावकों की तलाश कर रही है कि आखिरकार बाघिन जंगल से बाहर निकल आबादी में कैसे पहुंच गई?

बरखेड़ा थाना क्षेत्र के गांव शहपुरा में बीते मंगलवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से निकलकर एक बाघिन आबादी के बीच पहुंच गई। बाघिन ने गन्ने के खेत में अपना डेरा जमा लिया था। जब बाघिन को रेस्क्यू करने का प्रयास किया गया तो वह गन्ने के खेत से निकलकर बरखेड़ा क्षेत्र के गांव केशोपुर में बनी गोशाला के परिसर में छिपकर बैठ गई।

इस पर वन अफसरों ने वहां उसका रेस्क्यू करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन आबादी की वजह से अनुमति नहीं मिली। इस पर वन विभाग की टीम बाघिन की निगरानी करने में जुट गई। लोकेशन के बाद वन विभाग के अफसरों ने भी वहां डेरा जमा लिया। लेकिन शनिवार को बाघिन टीम को चकमा देते हुए गोशाला में घुस गई।

जहां एक गोवंशीय पशु का शिकार कर गोशाला क्षेत्र में ही उगी झाड़ियों में ले जाकर अपना निवाला बना लिया। जिसके बाद उच्चाधिकारियों ने परमिशन दी। इतना ही नहीं दुधवा नेशनल पार्क से भी डा. दया को भी रेस्क्यू करने के लिए मौके पर बुलाया गया। जिसके बाद रविवार को सुबह आठ बजे से रेस्क्यू करने की तैयारी शुरू की गई।

टीम ने खाबड़ आदि लगने के बाद बाघिन की लोकेशन को ट्रेस किया। अफसरों की मौजदूगी में डा. दक्ष गंगवार ने ट्रैंक्यूलाइज गन से पौने नौ बजे बाघिन को बेहोश करने के लिए डॉट चलाई। अच्छी बात यह रही कि एक ही डॉट में बाघिन पर सटीक बैठी। जिसके बाद वह बेहोश हो गई। बाघिन के बेहोश होने के बाद उसे आनन फानन में जाल में डालकर पिजंरे में कैद किया। जिसके बाद ग्रामीणों और वन विभाग की टीम को राहत महसूस हुई।

बफर जोन की वजह से दुधवा भेजी गई बाघिन
बाघिन को रेस्क्यू करने के बाद उसका पहले परीक्षण किया गया। पहले उसे जंगल में ही छोड़ने की बात चल रही थी। लेकिन अचानक उसे दुधवा नेशनल पार्क में शिफ्ट करने की बात कही गई। इस पर एसडीओ माला दिलीप कुमार तिवारी और पूरनपुर प्रभारी रेंजर कपिल कुमार अपनी टीम के साथ बाघिन को दुधवा नेशनल पार्क लेकर रवाना हुए।

इधर, वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि बाघिन को दुधवा नेशनल को क्यों भेजा जा रहा है। वन अफसर पहले यह जानकारी दें। इस पर लागों ने ट्वीट करते हुए कहा कि इससे पूर्व में दुधवा भेजे गए दो बाघ वहां से लापता हो गए हैं। जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल सका है। इधर, वन अफसरों का कहना है कि बाघिन खुले में रहने की आदी है। पीलीभीत में बफरजोन कम है, इसलिए उसे दुधवा भेजा गया है। ताकि स्वभाव बदल सके। जिसके बाद उसे दोबारा पीलीभीत के टाइगर रिजर्व के जंगल में लेकर लाया जाएगा।

केशोपुर गांव में डेरा जमाए बाघिन को रेस्क्यू कर लिया गया है। बाघिन को रेस्क्यू करने के बाद उसका परीक्षण किया गया। जिसमें कोई भी चोट आदि का निशान नहीं मिला। बाघिन को दुधवा नेशनल पार्क भेजा गया है। ताकि उसके स्वभाव में बदलाव आ सके। क्योंकि बाघिन लंबे समय तक आबादी के बीच रही है। इसलिए उसे यहां रखना खतरे से खाली नहीं है--- नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, टाइगर रिजर्व।

यह भी पढ़ें- पीलीभीत: काम निपटाकर लौट रहे दंपति पर दबंगों ने किए फायर, पति गंभीर, तीन नामजद