Allahabad High Court: चुनाव याचिकाओं का जल्द हो निस्तारण

Allahabad High Court: चुनाव याचिकाओं का जल्द हो निस्तारण

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन बिजनौर भारतीय जनता पार्टी के सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह के चुनाव को चुनौती देने वाली भाजपा नेता राजेंद्र कुमार की चुनाव याचिका खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक जीवन में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने राजेंद्र कुमार की चुनाव याचिका पर सुनवाई करते हुए की। 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लोकसभा 2014-2019 का कार्यकाल समाप्त हो गया है और आगामी लोकसभा 2019- 2024 का कार्यकाल भी कुछ महीनों के भीतर समाप्त होने की संभावना है। अतः ऐसी स्थिति में चुनाव याचिका जल्द निस्तारित करने की आवश्यकता है, जिससे समय की बर्बादी के कारण यह निष्फल ना हो जाए। मामले के अनुसार राजेंद्र कुमार को वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में बिजनौर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया गया था।

हालांकि बाद में प्रतिवादी कुंवर भारतेंद्र सिंह को उक्त संसदीय क्षेत्र के लिए उम्मीदवार चुन लिया गया। उनके नामांकन फार्म के खिलाफ याची ने आपत्तियां दर्ज कीं। प्रतिवादी के नामांकन फॉर्म को स्वीकार करते समय रिटर्निंग ऑफिसर ने इसे खारिज कर दिया, इसलिए याची ने वर्तमान चुनाव याचिका दाखिल की। 

मालूम हो कि वर्ष 2014 के चुनाव में भारतेंद्र ने सीट जीती थी और 2019 में वह हार गए थे। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याची और विपक्षी के बीच कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि भाजपा के पास निर्वाचित उम्मीदवार को अपने उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने का कोई कारण नहीं था। यह केवल इसलिए हुआ, क्योंकि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा गलती से याची का नामांकन फार्म रद्द कर दिया गया। 

इस कार्य से न केवल याची की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है बल्कि उसकी राजनीतिक छवि भी धूमिल हुई है। सुनवाई के दौरान यह भी तर्क दिया गया कि चुनाव काफी पहले बीत चुका है, लेकिन अभी भी मामले का निर्णय नहीं हुआ है। अंत में कोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिकाओं पर फैसला देते समय अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। 

मौजूदा मामले में याची और विपक्षी के सौहार्दपूर्ण संबंध को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा पारित आदेश को देखने से यह नहीं लगता है कि याची के खिलाफ किसी गलत धारणा से उसका नामांकन पत्र खारिज किया गया हो। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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