बरेली: मातम का मेला... कोई दहाड़ें मारकर रोया, कोई होश खो बैठा

दर्दनाक हादसे में सात नौजवानों की जान जाने के बाद हर तरफ रोने-चीखने की आवाजों के साथ हुई गांव जाम सावंत शुमाली की सुबह

बरेली: मातम का मेला... कोई दहाड़ें मारकर रोया, कोई होश खो बैठा

बरेली/बहेड़ी, अमृत विचार। रात भर मरघट जैसा सन्नाटा छाए रहने के बाद रविवार को जाम सावंत शुमाली गांव की सुबह की शुरुआत हर तरफ रोने और सिसकियों की आवाजों से हुई। दिन निकलने के साथ जैसे-जैसे गांव में हलचल बढ़ी, रोने-चीखने की आवाजें भी तेज होती गईं। 20 से 30 साल की उम्र के सात नौजवानों की मौत की खबर सुनकर लोग दोपहर तक इस गांव में पहुंचते रहे और यहां शुरू हुआ मातम का मेला और बड़ा होता गया। इतने दर्दनाक हादसे पर कोई किसी को दिलासा भी नहीं दे पा रहा था। हर आंख में आंसू थे और हर गली मातमी चेहरों की भीड़ से अटी हुई थी।

गांव के ही अब्दुल बारी के बेटे उवैश की शादी में बरेली गए कुछ लोगों की कार लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की खबर शनिवार देर रात जब जाम सामंत शुमाली पहुंची तभी गांव में सन्नाटा छा गया। कुछ समय तक किसी को पता नहीं था कि हादसा कैसा है और किन-किन और कुल कितने लोगों की जान गई है। इंतजार के ये पल उन घरों में दुआ मनाते हुए गुजरे जिनके लोग शादी में शामिल होने गए थे, रात का अंतिम पहर होते-होते यह भी साफ हो गया कि मनहूस हादसा किस-किस घर की रात हमेशा के लिए काली कर गया है। इसी के साथ घरों से रोने की आवाजें गूंजनी शुरू हो गईं। गांव के लोग भी बदहवास हो गए कि कहां किस घर में जाकर दिलासा दें।

हादसे की खबर इतनी तेजी से फैली कि दिन निकलते ही आसपास के इलाके के लोगों का भी जाम सावंत शुमाली पहुंचना शुरू हो गया। सुबह होने तक आसपास के गांवों के लोगों की हजारों की संख्या में भीड़ गांव पहुंच गई। गांव की तंग गलियां भीड़ से भर गईं। हर आंख में आंसू भरे हुए थे। कोई किसी को सांत्वना देने की हालत में तक नहीं था। कोई बेटे को याद करके बिलख रहा था तो कोई भाई को। कोई सुहाग उजड़ जाने से होश खो बैठा था। गांव के एक घर में भी चूल्हा नहीं जला था। रविवार सुबह एसडीएम अजय कुमार उपाध्याय और सीओ तेजवीर सिंह गांव पहुंचे और मृतकों के परिजनों को ढांढ़स बंधाया।

घर लौटने की जल्दी में सबसे पहलेनिकले लेकिन पहुंचे ही नहीं
हादसे में मारे गए आरिफ के परिजनों ने बताया कि सबसे पहले आरिफ की ही कार घर लौटने के लिए रवाना हुई थी, दो कारें कुछ देर बाद उसके पीछे गईं थीं। आरिफ की कार पहले चलने के बाद भी घर नहीं पहुंची तो पीछे से आई कारों में पहुंचे लोगों ने पूछताछ की। अनहोनी की आशंका ने जोर पकड़ा तो आरिफ की कार से आए आठों लोगों को फोन किया लेकिन किसी का फोन नहीं उठा। इसके बाद वापस बरेली की ओर लौटे। भोजीपुरा के पास कार को जलते देखकर पूछताछ करने के बाद असलियत पता लगी तो उनके पैरों से जमीन खिसक गई। इससे पहले पुलिस हादसे की सूचना दे चुकी थी। बरात में शामिल ज्यादातर लोग घटनास्थल पर पहुंच गए।

किसी के छोटे-छोटे बच्चे किसी की नई-नई शादी, रिश्ते में भाई थे आरिफ और बाबू
हादसे में मारे गए मो. आरिफ पुत्र छोटे मुन्ने और बाबू रिश्ते में दूल्हे उवैश के चाचा थे। आरिफ की शादी को चार साल हुए थे। उनका बेटा अर्सलान सात महीने का है। 38 साल के बाबू कार में बैठे सभी लोगों में सबसे ज्यादा उम्र के थे। उनका ढाई साल का बेटा अरहान है। आरिफ की पत्नी अंजुम और बाबू की मां असगरी और पत्नी साइन संभाले नहीं संभल रही थीं।

हाथों की मेहंदी छूटने से पहले उजड़ा सुहाग
बाइस साल के आरिफ पुत्र अमीर अहमद की शादी पिछले महीने 14 नवंबर को ही बहेड़ी के मोहल्ला मोहम्मदपुर के सरताज अहमद की बेटी सलमा के साथ हुई थी। सलमा के हाथों की मेंहदी छूटने से पहले ही उनका सुहाग उजड़ गया। मजदूरी करके गुजरबसर करने वाले मो. अयूब पर चार बच्चों के भरणपोषण की जिम्मेदारी थी। 21 साल के शादाब सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। उनकी मां हाजरा बी को भी लोग संभाल नहीं पा रहे थे।

सबसे ज्यादा दुल्हन पर भारी पड़ी मनहूस रात
आधी रात के बाद सन्नाटे से घिरे गांव में पहुंची, न किसी ने खैरमकदम किया न मुंह दिखाई
बहेड़ी, अमृत विचार : जिस गांव में देर शाम तक खुशियों के तराने गूंज रहे थे, दूल्हा बनकर बरेली गए उवैश के घर की रौनक अलग ही दिख रही थी, उसी गांव में रात करीब 11 पहले हादसा होने की पहली खबर पहुंची तो लोगों के दिल कांप उठे। शादी की सारी रौनक पल भर में गायब हो गई। रात एक बजे जब यह साफ हो चुका था कि हादसे में गांव के कई लोगों की जान जा चुकी है, उसी समय उवैश की दुल्हन शाजिया गांव पहुंची। सन्नाटे के बीच न कोई उसे दरवाजे पर लेने आया न खुशियों के गीत गाए गए। रविवार को बहेड़ी के एमएम लॉन में दावत होनी थी जिसे दूल्हे के पिता ने रद्द कर दिया।

यह तय था कि रात 12 बजे तक उवैश अपनी दुल्हन शाजिया को लेकर घर पहुंचेगा। इस वजह से घर पर गांव भर की महिलाएं इकट्ठा थीं। तमाम रस्मों की अदायगी करने की तैयारी चल रही थी लेकिन हादसे ने सारी तैयारियों को मिट्टी में मिला दिया। भोजीपुरा में हुए हादसे में गांव के सात चिराग बुझ जाने की खबर शादी समारोह में पहुंची तो वहां भी सन्नाटा छा गया। ज्यादातर लोग जिन्हें उवैश और शाजिया को साथ लेकर गांव लौटना था, वह आननफानन घटनास्थल पर पहुंच गए। शाजिया की विदाई भी कुछ देर के लिए रुक गई। बहुत मुश्किल से घर के लोग शाजिया को विदा कराकर गांव ले जाने का फैसला ले पाए। इसके बाद रात एक बजे शाजिया गांव पहुंची।

गांव में इस बीच घरों में रोना-सिसकना शुरू हो चुका था। खुद उवैश के घर में सिसकियां गूंज रही थीं। उवैश के घर में शाजिया की पहली आमद बेहद खामोशी के बीच हुई। कोई न दरवाजे पर उसे लेने आया न देहरी घेरने और मुंह दिखाई जैसी रस्म हुई। चुपचाप उसे उसके कमरे में ले जाकर बैठा दिया गया। पड़ोस के लोगों ने बताया कि पूरे गांव के लोग हादसे की वजह से इस कदर होश खो बैठे थे कि पूरी रात किसी ने उसका हालचाल तक नहीं लिया।

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