शाहजहांपुर: बचपन छीन रही इंग्लिश मीडियम स्कूलों की मनमानी, मासूमों के कंधों से उठवाया जा रहा छह-छह किलो वजन

शाहजहांपुर: बचपन छीन रही इंग्लिश मीडियम स्कूलों की मनमानी, मासूमों के कंधों से उठवाया जा रहा छह-छह किलो वजन

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शाहजहांपुर, अमृत विचार। इंग्लिश मीडियम स्कूल की मनमानी मासूमों से उनका बचपन छीन रही है। ठीक से दो किलो वजन न उठा पाने वाले मासूमों के कंधों से छह-छह किलो वजन उठवाया जा रहा है। कक्षा एक में पढ़ने वाले बच्चे के बस्ते का वजन छह किलो या इससे भी ज्यादा है। 

बीते वर्ष रोजा में फोरलेन के पास स्थित एक एक नामचीन स्कूल की सीढियों पर एक बड़े व्यापारी का बच्चा बेहोश होकर गिर गया था। जिसके बाद काफी हंगामा हुआ था। इस सब के बाद भी स्कूल बच्चों के कंधों पर भारी-भरकम बोझ लादने से बाज नहीं आ रहे हैं।  

एक प्रकरण शहर के प्रतिष्ठित कॉन्वेंट स्कूल की कक्षा 4 की छात्रा का है। इस छात्रा का वजन 38 किलो और उसके बैग का वजन 6 किलो ग्राम है। नाजुक कंधों पर भारी भरकम बैग लेकर जब वह स्कूल से घर लौटती है तो उसकी हालत देख दादी का दिल भर आता है। बच्ची बिस्तर पर गिर पड़ती है, थोड़ी देर आराम के बाद ही खाना आदि खा पाती है। इसी तरह दूसरा प्रकरण भी शहर के एक नामचीन स्कूल का है। यह स्कूल फोरलेन पर स्थित है। यहां बीते वर्ष कक्षा 4 का छात्र छुट्टी के समय सीढ़ियों से गिर गया था।

सीढ़ियों से उतरते समय बैग का वजन एक तरफ हो जाने से उसका संतुलन बिगड़ गया था। उसके हाथ-पैर में चोटें लगी थीं। यह दो केस मात्र उदाहरण मात्र हैं। इसी तरह की न जाने कीतनी ही घटनाएं शहर में होती रहती हैं। स्कूलों में बैग का भारी बोझ बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर रहा है। जबकि चाइल्ड वेलफेयर संगठनों की ओर से तमाम सुझाव दिए जा चुके हैं।  

जिनमें बच्चों के शारीरिक और मानसिक दबाव को कम करने का सुझाव दिया था। इस आधार पर एनसीईआरटी ने नए पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकें तैयार कीं। सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों ने इसे पूरी तरह अपनाया। शेष स्कूल और प्रबंधतंत्र मनमानी कर रहे हैं। अभिभावकों का आरोप है कि कुछ स्कूलों ने दिखावे के लिए एनसीईआरटी की एक- दो पुस्तकें लगाई हैं। उन्हें अपने कमीशन की चिंता है। मनमाफिक पब्लिशर्स की किताबें ऊंची कीमतों पर बिकवा रहे हैं।

कमीशन के खेल में एनसीईआरटी से तौबा
शिक्षाविदों के अनुसार कक्षा 1 और 2 में बच्चों को भाषा और गणित केवल दो ही विषय पढ़ाना पर्याप्त है। जबकि स्कूल कक्षा 1 से ही कंप्यूटर साइंस, सोशल साइंस समेत अन्य विषय भी पढ़ाते हैं। नियमानुसार कक्षा 2 तक के बच्चों को होमवर्क देना जरूरी नहीं है। सिर्फ एक कॉपी ही कक्षा कार्य के लिए जाना काफी है। वहीं कक्षा 3 से 5 तक के लिए एक बार में केवल 2 कॉपियों की अनुमति है। एक कक्षा कार्य और दूसरी गृहकार्य की।

केंद्रीय विद्यालयों में आदर्श स्थिति
सीबीएसई पैटर्न पर संचालित केंद्रीय विद्यालयों में आदर्श स्थिति है। यहां मुख्य विषयों की नियमित पढ़ाई के अलावा वर्क एक्सपीरियंस, कंप्यूटर और आर्ट की कक्षाएं सप्ताह में दो दिन लगती हैं। किताबें एनसीईआरटी पर आधारित हैं तो बच्चों पर बैग का बोझ नहीं पड़ता।

ये होना चाहिए स्कूल बैग का वजन
-कक्षा 1 और 2 के बस्ते का वजन 2 किलोग्राम से ज्यादा नहीं।
-कक्षा 3 और 4 के बस्ते का वजन 3
किलोग्राम से कम ।
-कक्षा 5 से 8 तक के बस्ते का वजन 4
किलोग्राम से ज्यादा नहीं।
-कक्षा 9 से बारहवीं तक के लिए अधिकतम
सीमा 6 किलोग्राम |

क्या कहते हैं चिकित्सक
बस्ते का बोझ काम किया जाना चाहिए। कक्षा एक के बच्चे के बस्ते का वजन अगर ज्यादा है तो वह निश्चित रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अभिभावक और शिक्षक सभी को प्रयास करने चाहिए ताकि बच्चों के बस्ते का वजन कम किया जा सके। -डॉ. एमपी सिंह, हड्डी रोग विशेषज्ञ। 

क्या कहते हैं अभिभावक
आजकल तमाम माता-पिता महंगी शिक्षा की ओर से आसानी से कदम बढ़ा देते हैं। जिसके चलते उनके मासूम का बैग कॉपी और किताबों से भर जाता है। बच्चा बैग ठीक से उठा पा रहा है या नहीं यह भी देखना होगा। - विजय प्रकाश दीक्षित।

इंग्लिश मीडियम स्कूलों की मनमानी मासूम बच्चों से उनका बचपन छीन रही है। बच्चे बस्ते के बोझ तले दब रहे हैं। मासूमों को इस परेशानी से बचाया जाना चाहिए। -आगा खां, ग्राम प्रधान महानंदपुर

अभियान को जन समर्थन
अमृत विचार अखबार की ओर से इंग्लिश मीडियम स्कूलों की लूट-खसूट के खिलाफ चलाए जा रहे हैं अभियान को जन समर्थन मिलता जा रहा है। तिलहर के समाजसेवी कौशल कुमार गुप्ता, अधिवक्ता परविंदर सिंह, सभासद राधा गुप्ता, मेडिकल स्टोर संचालक दीनदयाल वर्मा और अभिभावक कार्तिक गंगवार सहित तमाम लोगों ने शिक्षा मंत्री को पत्र भेज कर इंग्लिश मीडियम स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल अपने पास से किताबें छात्रों को देते हैं और मनमानी कीमत वसूल करते हैं। विद्यालय से ही किताबों का वितरण होता है और कॉपियां भी विद्यालय से ही मिलती हैं। सभी पर अधिक मूल्य लिया जाता है। बाहर की दुकानों से कॉपी-किताबें खरीदने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इस तरह शिक्षक भ्रष्टाचार फैलाए हुए हैं। प्रकरण की जांच करना न्यायहित में होगा।

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