बाराबंकी: 17 लोकसभा चुनाव, 7 बार 50 फीसदी से कम वोटर पहुंचे बूथ, 2019 में बना कीर्तिमान

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने 70 फीसदी से ज्यादा मतदान का बनाया लक्ष्य

बाराबंकी: 17 लोकसभा चुनाव, 7 बार 50 फीसदी से कम वोटर पहुंचे बूथ, 2019 में बना कीर्तिमान

बाराबंकी, अमृत विचार। आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में बाराबंकी के मतदाताओं ने लोकतंत्र के उत्सव पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। वहीं 2019 में यहां के वोटरों ने अब तक के सबसे ज्यादा मतदान कर कीर्तिमान स्थापित किया। इस बीच 17 लोकसभा चुनाव में आठ बार 50 फीसदी से भी कम मतदाता बूथों पर पहुंचे लेकिन मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर निर्वाचन आयोग के निर्देश पर स्वीप का गठन होने के बाद जिले में पिछले तीन लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में बढ़ोत्तरी होती गई है। इस बार भी प्रशासन 2019 का रिकार्ड तोड़ने के लिए भरपूर प्रयास में लगा है। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने इस बार 70 फीसदी से ज्यादा मतदान कराने का लक्ष्य बनाया है।

लोकत्रांत्रिक प्रणाली में वोट की महत्ता से कोई इनकार नहीं कर सकता है। एक वोट से सरकार गिरते और बनते भी देखा गया है। इसके बाद भी मतदान के प्रति लोग गंभीर दिखाई नहीं देते। आजादी के बाद से अब तक हुए 17 लोकसभा के चुनाव के आंकड़े स्थिति बयां कर रहे हैं। बात आजादी के बाद पहले चुनाव की करें तो बाराबंकी संसदीय क्षेत्र के वोटर अपनी सरकार बनाने में खासे उत्साहित नहीं दिखे। तभी तो वर्ष 1951 के चुनाव में मात्र 34.10 प्रतिशत ही मतदाता बूथ पर पहुंचे थे। बताते हैं कि उस समय बूथ की दूरी करीब पांच-पांच किलोमीटर थी और लोगों में इतनी जागरुकता भी नहीं थी। लेकिन दूसरे लोकसभा चुनाव में वर्ष 1957 में जरुर मतदान प्रतिशत बढ़ा और 44.91 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

मतदान प्रतिशत बढ़ने का सिलसिला तीसरे चुनाव में भी दिखा। जिसमें 1967 में वोटरों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। और 53.97 प्रतिशत मतदान कर अपने सांसद का चुनाव किया। वही अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में सात बार जिले के 50 प्रतिशत से कम लोग बूथ तक मताधिकार का प्रयाेग करने पहुंचे। वहीं सबसे अधिक मतदान वर्ष 2019 में हुआ था। इस चुनाव में 63.5 प्रतिशत मतदाताओं ने बूथों पर पहुंच कर मतदान किया था। जो कि अब तक का कीर्तिमान बना हुआ है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर बने स्वीप द्वारा प्रतिदिन विभिन्न गतिविधियों के जरिए जागरुकता कार्यक्रम का ही नतीजा है कि यह कीर्तिमान बन सका है। अब इस कीर्तिमान को भी ध्वस्त करने के लिए जिला प्रशासन एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है ताकि अधिक से अधिक मतदाता घर से निकल लोकतंत्र के पर्व में अपनी सहभागिता दर्ज कराएं।

लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत
चुनाव वर्ष---प्रतिशत
1951--34.10
1957--44.91
1962--53.97
1967--46.79
1971--35.38
1977--50.72
1980--47.59
1984--55.93
1989--52.59
1991--51.19
1996--46.23
1998--52.59
1999--57.93
2004--44.47
2009--52.30
2014--62.00
2019--63.05

सभी लोग 20 मई को करें मतदान

लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए सघन जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। हर तबकों के साथ जागरुकता के कार्यक्रम कराए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इस बार भीा मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव से काफी अधिक होगा। प्रतिदिन स्वीप के जरिए विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं। जिले के मतदाताओं से भी अपील है कि व 20 मई को घर से निकल अपने बूथ पर जाकर पहले मतदान करें इसके बाद कोई दूसरा काम करें..., सुनील पांडेय, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी।

70 फीसदी से ज्यादा मतदान का लक्ष्य

जिला निर्वाचन अधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि हम इस बार 70 फीसदी मतदान कराने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसको लेकर जिलेभर में लगातार स्वीप के अंतर्गत अभियान चलाया जा रहा है। घर-घर में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसके अलावा पोलिंग बूथों पर लोगों को लाइन और धूप से बचाने के भी प्रबंध किये जा रहे हैं। हमारा मकसद लोकतंत्र के इस महापर्व में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराना है।

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