बदायूं: मुफ्त शिक्षा से अभिभावकों का मोह हो रहा भंग, एक साल पढ़ाई करने के बाद स्कूलों से कटवा रहे बच्चों का नाम

बदायूं: मुफ्त शिक्षा से अभिभावकों का मोह हो रहा भंग, एक साल पढ़ाई करने के बाद स्कूलों से कटवा रहे बच्चों का नाम

बदायूं, अमृत विचार। निशुल्क शिक्षा से अभिभावकों का मोहभंग होता जा रहा है। उनके द्वारा एक साल बाद ही स्कूलों से अपने बच्चे का नाम कटवाने के लिए स्कूलों में पहुंच रहे हैं। लेकिन नियमों का हवाला देकर स्कूल संचालकों द्वारा टीसी जारी करने में आनाकानी की जा रही है। ऐसे में अभिभावकों के द्वारा बच्चे का नाम स्कूल से पृथक न किए जाने  की शिकायत बीएसए से की जा  रही है। 

जिले में एक हजार से अधिक निजी स्कूलों में बीते शैक्षिक सत्र 2023-24 में 12581 बच्चे निशुल्क शिक्षा के तहत अध्ययनरत थे। इनमें से 2,081 बच्चे इन स्कूलों से नाम कटवा चुके हैं। नए शुरू हुए शैक्षिक सत्र में भी आरटीई के तहत निजी स्कूलों में  पढ़ रहे बच्चों का उनके माता पिता द्वारा नाम कटवाने का सिलसिला  जारी है। 

जिन अभिभावकों के बच्चे आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। वह पढ़ाई को लेकर  संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं। इसी के चलते नाम कटवा रहे हैं। स्कूल से नाम पृथक कराने के लिए अभिभावक स्कूल पहुंच रहे हैं। इस पर स्कूल संचालक उन्हें नियमों का हवाला देकर टीसी काटने से इंकार कर दे रहे हैं। टीसी  न दिए जाने की दशा में उनकी स्कूल संचालकों से नोकझोंक भी हो रही है। लेकिन स्कूल संचालक नियमों में बंधे होने की वजह से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में अभिभावक बीएसए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। 

निशुल्क शिक्षा का पटल देख रहे लिपिक की माने तो अप्रैल माह में ही करीब 15 से 20 लोग स्कूलों  द्वारा टीसी जारी न किए जाने की शिकायत लेकर आ  चुके हैं। ऐसे में बीएसए द्वारा समस्या का समाधान करते हुए निशुल्क शिक्षा का अन्य स्कूल में लाभ न लिए जाने का प्रमाण पत्र लेकर स्कूल संचालकों को आदेशित किया जा रहा है। 

निजी स्कूलों में अलग बना दी गईं हैं कक्षाएं
बीएसए विभाग के कर्मचारियों की माने तो शहर के नामचीन स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों की अलग कक्षाएं बना दी गई हैं। उन पर शिक्षकों द्वारा पढ़ाई लिखाई को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। शिक्षकों के द्वारा भी स्कूल संचालकों के निर्देशों का पालन करते हुए शिक्षण कार्य कराने के नाम पर कोरम पूरा करते हैं। ऐसे में आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चे का शैक्षिक स्तर नीचे चला जा रहा है। जिसकी वजह से अभिभावक अपने बच्चे का इन स्कूलों से कटवा रहे हैं। 

एक बार के दोबारा नहीं मिलती आर्थिक सहायता
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश पाने बच्चे की फीस की पूर्ति सरकार द्वारा की जाती है। साथ ही कॉपी किताब और ड्रेस आदि खरीदने के लिए पांच हजार रुपये अभिभावक को दिए जाते हैं। लेकिन पिछले पांच साल से इस नियम में सरकार की ओर से परिवर्तन कर दिया है। 

सरकार द्वारा नवप्रवेशित बच्चे को ही कॉपी किताबें खरीदने के लिए धनराशि खाते में भेजी जा रही है। पूर्व से पढ़ाई कर रहे अभिभावक धनराशि न मिलने के अभाव में स्वयं के पास ही कॉपी किताबें हर साल खरीदने के लिए विवश होना पड़ रहा है। ऐसी दशा में उनका निशुल्क शिक्षा की ओर से मोह भंग होता जा रहा है। 

निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के माता पिता स्कूल द्वारा टीसी जारी न किए जाने की  शिकायत लेकर आ रहे हैं।  जब अभिभावक सरकार की व्यवस्था के तहत बच्चे की   पढ़ाई कराने के लिए इच्छुक नहीं हैं तो ऐसे स्थिति में स्कूल संचालकों को प्रमाण पत्र लेकर टीसी जारी करने का आदेश दिया जा रहा है। अगर किसी स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों की पढ़ाई नहीं कराई जा रही है तो शिकायत मिलने  पर कार्रवाई की जाएगी।-स्वाती भारती, बीएसए

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