प्रयागराज : नाबालिग को जबरन मदरसे में रखने और धर्मांतरण कराने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार

प्रयागराज : नाबालिग को जबरन मदरसे में रखने और धर्मांतरण कराने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार

अमृत विचार, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग लड़के को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण करने के उद्देश्य से मदरसे में रखने के आरोपी मौलवी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मौलवी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ विशेष आरोप है और पीड़ित ने भी सीआरपीसी की धारा 161 के तहत अपने बयान में उसके खिलाफ आरोपों का समर्थन किया है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की एकलपीठ ने मौलवी सैयद शाद काजमी उर्फ मोहम्मद शाद की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। हालांकि याची के अधिवक्ता का तर्क है कि उसे झूठे आरोपों के आधार पर फंसाया गया है। कथित पीड़ित मानसिक रूप से विक्षिप्त था। याची ने उसे कभी भी धर्मांतरण के लिए विवश नहीं किया। दूसरी ओर सरकारी व्यवस्था ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याची मस्जिद में मौलवी है, जिसने न केवल शिकायतकर्ता के मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग बेटे को अपना धर्म बदलने के लिए बहलाया बल्कि उसे बदलने के लिए जबरन मदरसे में भी रखा और उसका धर्म परिवर्तन करा दिया।

जिस कारण 17 फरवरी 2024 को आईपीसी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की विभिन्न धाराओं के तहत नौबस्ता थाना, कानपुर नगर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। अंत में कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।

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