बरेली: जीआईएस सर्वे...80 दिनों में एक पैसे का नहीं जमा हुआ गृहकर

हर रोज आ रही शिकायतें, गलतियां सुधारने में जुटा विभाग

बरेली: जीआईएस सर्वे...80 दिनों में एक पैसे का नहीं जमा हुआ गृहकर

बरेली, अमृत विचार। जीआईएस सर्वे से नगर निगम की आय बढ़ाने की तैयारी थी लेकिन बढ़े हुए गृहकर से लोग परेशान हैं। यही वजह है कि 80 दिनों में एक पैसे का गृहकर जमा नहीं हुआ है। नई प्रणाली गले की फांस बन गई है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक 59 करोड़ रुपये का गृहकर जमा हुआ था।

नगर निगम का दावा था कि नई प्रणाली सुविधाजनक होगी और जून से लोगों को गृहकर जमा करने में छूट भी मिलेगी लेकिन अब विभाग कर में गड़बड़ियों की तमाम शिकायतें आने के बाद भौतिक सत्यापन में लगा हुआ है।

जीआईएस सर्वे से नगर निगम क्षेत्र में 82897 नए भवनस्वामियों की पहचान हुई है। इससे करीब 45 करोड़ रुपये राजस्व की बढ़ोत्तरी हाेगी। नए साफ्टवेयर के अपडेट होने के बाद जब लोग बिल निकलवाने पहुंचे तो सुविधा मिलने की जगह उनको मोटी रकम का दर्द मिल गया। इसको लेकर जब लोगों ने विरोध किया तो अफसर खिड़की बंद कर बिल सुधार में जुट गए। कर विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब तक अधिक बिल की करीब 80 शिकायतें पहुंच चुकी हैं। कई ऐसे लोग हैं जिनका बिल हजारों में आता था लेकिन अब उन्हें कई लाख रुपये देने होंगे।

अब हर हाल में भवनस्वामी जीआईएस सर्वे में बदलाव चाहते हैं। कर जमा न होने से विभाग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 31 मार्च के बाद से हाउस टैक्स जमा करने की प्रक्रिया बंद पड़ी हुई है। सर्वे में कई करोड़ रुपये खर्च करने के बाद कर विभाग और भवनस्वामियों को राहत नहीं मिल पाई है। यहां तक की पुराना बकाया भी वसूल नहीं हो पा रहा है। कई ऐसे विभाग हैं जिन पर दस-दस करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

पार्षदों ने बढ़े हुए कर के खिलाफ खोला मोर्चा
पार्षद राजेश अग्रवाल ने बताया कि गलत तरीके से बढ़ाए गृहकर को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा। बोर्ड बैठक में समस्या का निदान नहीं हुआ तो मामले को कोर्ट ले जाएंगे। नगर निगम के नियमों की अनदेखी कर नई कर प्रणाली लागू की गई है। इसी तरह सपा के पार्षद दल के नेता गौरव सक्सेना और भाजपा के भी पार्षदों ने कर निर्धारण की गलतियों को सुधार कराने के लिए नगर आयुक्त से शिकायत की है। कुछ पार्षदों का कहना है कि कार्यकारिणी की बैठक में भी जीआईएस सर्वे को स्थगित करने का मुद्दा उठाया जाएगा।

नगर निगम प्रशासन के खिलाफ लोगों में आक्रोश
बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने बताया कि लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद नगर निगम ने गृहकर के बढ़े हुए बिल से लोगों में गुस्सा है। जीआईएस सर्वे के आधार पर जारी बिल निरस्त और टैक्स में पहले से मिल रही छूट बहाल की जाए। आय बढ़ाने के नाम पर शहर वासियों पर कर की अनावश्यक मार है। एक ही संपत्ति पर कई-कई टैक्स बिल एक जनविरोधी रवैया है। जमा हो चुके बिलों का एरियर मांगना सामाजिक न्याय के खिलाफ है।

महंगाई झेल रही जनता पर कर की मार
बरेली की पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन ने कहा कि जीआईएस सर्वे के बाद गृहकर बढ़ गया है। सर्वे में बहुत ज्यादा गड़बड़ियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि पहले से जनता महंगाई की मार झेल रही है। वह टैक्स बिल बढ़ोत्तरी की घोर निंदा करती हैं। इससे लोगों का आर्थिक शोषण हो रहा है। पहले जो छूट दी जाती थी, उसे भी बंद कर दिया गया है। इसे दोबारा लागू करना चाहिए।

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