हार्ट अटैक, कैंसर, मधुमेह का पहले ही लग जाएगा पता, Kanpur IIT और अपोलो हॉस्पिटल करेंगे कार्य

कानपुर आईआईटी और अपोलो हॉस्पिटल एआई और मशीन लर्निंग पर करेंगे कार्य।

हार्ट अटैक, कैंसर, मधुमेह का पहले ही लग जाएगा पता, Kanpur IIT और अपोलो हॉस्पिटल करेंगे कार्य

कानपुर आईआईटी और अपोलो हॉस्पिटल एआई और मशीन लर्निंग पर कार्य करेंगे। चेन्नई में दोनों संस्थानों के बीच एमओयू साइन हो गया है। इससे स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा।

कानपुर, अमृत विचार। हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, मधुमेह, कैंसर, मधुमेह, दमा समेत अन्य बीमारियां होने की आशंका बहुत पहले ही पता लग जाएगी, जिससे संभावित मरीज न सिर्फ अपना इलाज करा सकेंगे, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली अपना कर बीमारी की चपेट में आने से बच जाएंगे। यह तकनीक आईआईटी कानपुर और अपोलो हॉस्पिटल मिलकर विकसित करेंगे,

जिसके लिए मंगलवार को चेन्नई में दोनों संस्थानों के बीच करार हुआ। दोनों संस्थानों के विशेषज्ञ आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और कंप्यूटेशनल मॉडलिंग व डेटा एनालिसिस का उपयोग कर रोगों की संभावनाओं पर कार्य करेंगे। कई तरह की चिकित्सीय सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाओं की खोज की जाएगी।

आईआईटी की ओर से डीन आरएनडी प्रो. एआर हरीश और आपोलो हॉस्पिटल के टेलीमेडिसिन के निदेशक प्रो. कृष्णन गणपति ने करार पत्र पर हस्ताक्षर किए। आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर, अपोलो अस्पताल ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रताप सी रेड्डी, वाइस चेयरपर्सन प्रीथा रेड्डी, प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। 

प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ चिकित्सा समेत अन्य क्षेत्रों में तकनीक और अनुसंधान पर कार्य कर रहे हैं। कई स्टार्टअप हुए हैं, जिनकी मदद से न सिर्फ कई लोगों को रोजगार मिल रहा है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर की जा रही हैं। संस्थान के विशेषज्ञ अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टरों संग मिलकर आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, टेलीमेडिसिन, जीनोमिक्स आदि पर कार्य करेंगे। 

एक दूसरे के संस्थान जाएंगे छात्र

प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय के मुताबिक दोनों संस्थानों के छात्र-छात्राएं एक दूसरे के यहां जाएंगे। कई तरह की स्वास्थ्य सेवाओं पर कार्य किया जाएगा। इसमें मरीजों को भर्ती करने से लेकर, दवाओं की डिलीवरी, ऑपरेशन और अन्य कारण शामिल हैं। 

इन क्षेत्रों में किया जाएगा काम

रेडियोलॉजी, दवाओं की खोज, बड़े ऑपरेशन की जगह छोटी सर्जरी, दवाओं के साइड इफेक्ट कम करना, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सीय सेवाएं बढ़ाना, मरीजों का लंबे समय तक डेटा सुरक्षित रखना, नए संक्रमण, वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों पर कार्य आदि।