क्रिस हॉपकिंस के न्यूजीलैंड का अगला प्रधानमंत्री बनने के बाद क्या होंगी परिस्थितियां?

क्रिस हॉपकिंस ने शिक्षा मंत्री के रूप में सभी पॉलिटेक्निक का केंद्रीकरण किया और सभी को एक प्रशासनिक इकाई के तहत संगठित किया

क्रिस हॉपकिंस के न्यूजीलैंड का अगला प्रधानमंत्री बनने के बाद क्या होंगी परिस्थितियां?

पामर्स्टन नॉर्थ (न्यूजीलैंड)। जेसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern) के 19 जनवरी को आश्चर्यजनक रूप से न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद, न्यूजीलैंड लेबर पार्टी के पास पहले से ही एक नया नेता है, जिनका नाम है क्रिस हॉपकिंस। देश में 2017 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एंड्रू लिटिल से अर्डर्न को सत्ता का हस्तांतरण ठीक उसी तरह किया गया था, जैसा कि अर्डर्न से क्रिस हॉपकिंस को सत्ता हस्तांतरित की जा रही है। लेकिन क्या यह प्रक्रिया और इसके परिणाम उतने ही सफल होंगे? क्रिस हॉपकिंस 2008 में अर्डर्न के साथ ही संसद के सदस्य बने थे। अर्डर्न के नेतृत्व में क्रिस हॉपकिंस ने शिक्षा, पुलिस और सार्वजनिक सेवाओं में मंत्रिस्तरीय विभागों को संभाला और वह सदन के नेता भी रहे। 

क्रिस हॉपकिंस ने शिक्षा मंत्री के रूप में सभी पॉलिटेक्निक का केंद्रीकरण किया और सभी को एक प्रशासनिक इकाई के तहत संगठित किया। उनके इस फैसले को पूरी तरह से सफल नहीं माना जाता है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान चुनौतीपूर्ण समय में खुद को एक मेहनती और सक्षम नेता के रूप में प्रतिष्ठित किया। क्रिस हॉपकिंस एक भरोसेमंद और बुद्धिमान नेता हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, एक नेता के रूप में क्रिस हॉपकिंस को अब एक बेहद कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, उनकी पार्टी हाल ही में घोषित चुनाव परिणाम में विपक्षी नेशनल पार्टी से पीछे चल रही है। लेकिन उनके पास अर्डर्न के करिश्मे की कमी है। वर्ष 2017 में जब उन्होंने पार्टी का नेतृत्व संभाला, तो जेसिंडा अर्डर्न के व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा और लेबर पार्टी का मतदान प्रतिशत काफी बढ़ गया। 

हालांकि, उसी तरह कोई क्रिस हॉपकिंस के व्यक्तित्व के करिश्माई प्रभाव की कल्पना नहीं कर सकता है। लेकिन, भविष्य में कुछ भी हो सकता है। क्रिस हिपकिंस के न्यूजीलैंड का प्रधानमंत्री बनने से देश का भविष्य दो तरह से निर्धारित हो सकता है। सबसे पहले, उनके प्रधानमंत्री बनने से लेबर पार्टी की लोकप्रियता और घट सकती है, क्योंकि जल कार्यक्रम और आय बीमा योजना जैसी विवादास्पद और अलोकप्रिय नीतियों को लेकर सरकार की लगातार आलोचना हो रही है। इसके अलावा आर्थिक समस्याएं घरेलू बजट को नुकसान पहुंचा रही हैं।

 दरअसल, 44 वर्षीय क्रिस हॉपकिंस मौजूदा प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न की जगह लेने की दौड़ में शामिल एकमात्र उम्मीदवार हैं। हालांकि, क्रिस हॉपकिंस को प्रधानमंत्री बनने के लिए रविवार को संसद में अपनी लेबर पार्टी के साथियों का समर्थन हासिल करना होगा, लेकिन यह केवल एक औपचारिकता भर है। करीब साढ़े पांच साल शीर्ष पद पर रहीं अर्डर्न ने 19 जनवरी को यह घोषणा कर 50 लाख की आबादी वाले अपने देश को चौंका दिया था कि वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे रही हैं। केवल एक उम्मीदवार के चुनावी मैदान में उतरने से संकेत मिलता है कि अर्डर्न के जाने के बाद पार्टी के सभी सांसदों ने मुकाबले की लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए क्रिस हॉपकिंस का समर्थन किया है और वे इस बात का कोई संकेत नहीं देना चाहते कि पार्टी में एकता का अभाव है। 

प्रधानमंत्री बनने के बाद क्रिस हॉपकिंस आठ महीने से कम समय तक पद संभालेंगे। इसके बाद, देश में आम चुनाव होगा। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुसार, लेबर पार्टी की स्थिति मुख्य प्रतिद्वंद्वी ‘नेशनल पार्टी’ से बेहतर है। हिपकिंस कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान इस संकट के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाकर लोगों की नजरों में छाए थे, लेकिन सरकार में सबसे अधिक ध्यान अर्डर्न ने ही आकर्षित किया था। वह नेतृत्व की अपनी नयी शैली के कारण वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनीं। मात्र 37 साल में प्रधानमंत्री बनने वाली अर्डर्न की न्यूजीलैंड में हुई गोलीबारी की अब तक की सबसे भयंकर घटना और महामारी से निपटने के लिए दुनियाभर में प्रशंसा की गई, लेकिन देश में वह काफी राजनीतिक दबाव का सामना कर रही थीं। उन्होंने कुछ ऐसी चुनौतियों को झेला, जिनका न्यूजीलैंड के नेताओं ने पूर्व में अनुभव नहीं किया था। 

इस बीच, महिला होने के कारण उनके खिलाफ कई ऑनलाइन टिप्पणियां की गईं और धमकियां दी गईं। अर्डर्न ने नम आंखों के साथ गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि सात फरवरी का दिन बतौर प्रधानमंत्री उनका आखिरी दिन होगा। उन्होंने कहा, 'मेरे कार्यकाल का छठा वर्ष शुरू होने जा रहा है और बीते हर साल में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। अर्डर्न ने घोषणा की कि न्यूजीलैंड में अगला आम चुनाव 14 अक्टूबर को होगा और वह तब तक सांसद के रूप में काम करती रहेंगी। शिक्षा विभाग संभालने के अलावा, हिपकिंस पुलिस एवं सार्वजनिक सेवा मंत्री और सदन के नेता भी हैं। उन्हें एक राजनीतिक संकटमोचक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अन्य सांसदों द्वारा पैदा की गई समस्याओं को दूर करने में कई बार अहम भूमिका निभाई है।

ये भी पढ़ें :  Chinese Lunar New Year : म्यांमार में मनाया गया चीनी चंद्र नववर्ष का जश्न, देखें तस्वीरें