परवेज मुशर्रफ अपने पीछे एक ‘विवादित’ विरासत छोड़ गए : सामरिक मामलों के विशेषज्ञ

परवेज मुशर्रफ अपने पीछे एक ‘विवादित’ विरासत छोड़ गए : सामरिक मामलों के विशेषज्ञ

नई दिल्ली। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपने पीछे एक ‘‘विवादित विरासत’’ छोड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ 1999 के करगिल युद्ध के सूत्रधार थे।

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हालांकि, बाद में मुशर्रफ को एहसास हुआ कि उन्हें अपने देश की स्थिरता के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और नौ साल तक देश पर शासन किया।

पाकिस्तान में तैनात रहे पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी और टी.सी.ए. राघवन ने मुशर्रफ की विरासत को ‘‘विवादित’’ बताया और कहा कि उन्होंने करगिल युद्ध के बाद महसूस किया कि अगर भारत के साथ अच्छे संबंध नहीं रखे गए तो पाकिस्तान में कुछ भी बदलाव नहीं आएगा।

राघवन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों का दौर 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू हुआ था और यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले तक जारी रहा।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी के अपनी किताब ‘नाइदर ए हॉक, नॉर ए डव’ में किए गए इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि भारत और पाकिस्तान वाजपेयी और मुशर्रफ के बीच 2001 के आगरा शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर समस्या का समाधान खोजने के करीब थे, राघवन ने कहा, ‘‘ऐसा था और इसमें थोड़ी सच्चाई है।’’ उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मुशर्रफ के कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान संबंधों में उतार-चढ़ाव दोनों देखे गए।

राघवन ने कहा, ‘‘मुशर्रफ करगिल युद्ध के सूत्रधार थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने यह भी महसूस किया कि उन्हें भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है और उन्होंने इस संबंध में अच्छी प्रगति की। विशेष रूप से नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करके तथा सीमा पार व्यापार और लोगों की आवाजाही की शुरुआत करके कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए। तो यह एक दोहरे प्रकार की विरासत है।’’

पार्थसारथी ने कहा, ‘‘जब मैं उच्चायुक्त था, मैं मुशर्रफ को व्यक्तिगत रूप से जानता था। वह करगिल युद्ध के सूत्रधार थे और उन्हें विश्वास था कि वह करगिल में पूरे पहाड़ी क्षेत्रों पर नियंत्रण करने में सफल होंगे और हमारे संचार तंत्र को प्रभावित कर सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध में हार के बाद मुशर्रफ को अपने देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। पार्थसारथी ने  कहा, ‘‘इस बात को लेकर कुछ संदेह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को युद्ध के बारे में पूरी जानकारी थी या नहीं।’’

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