Ramnagar News : फिर से एक और बाघिन को भेजा गया राजा जी नेशनल पार्क, पूर्व में दो बाघों को जा चुका है भेजा

Ramnagar News : फिर से एक और बाघिन को भेजा गया राजा जी नेशनल पार्क, पूर्व में दो बाघों को जा चुका है भेजा

देहरादून/रामनगर, अमृत विचार। राजा जी नेशनल पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ाने के मकसद से मंगलवार को एक और बाघिन कॉर्बेट नेशनल पार्क से रेस्क्यू करने के उपरांत राजा जी नेशनल पार्क भेजी गई है। यह ट्रांसलोकेशन राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी भाग में बाघों की आबादी पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

बता दें कि इस परियोजना के अंतर्गत भारत सरकार की राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पांच बाघों को राजाजी टाइगर रिजर्व में लाने की अनुमति प्राप्त है। पूर्व में दो बाघों ( एक नर एक मादा) को यहां वर्ष 2020-21 में लाया गया था। मंगलवार को यहां से भेजी गई बाघिन का चिन्हीकरण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा गहन अध्ययन एवं स्थल निरीक्षण के उपरांत किया गया था। इस की उम्र लगभग पांच वर्ष है। 

इसको कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर जोन में निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व डॉ. धीरज पांडे के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों की एक विशेषज्ञ टीम ने ट्रेंकुलाइज किया था। उसके बाद इसे पूरी चिकित्सीय जांच के उपरांत रेडियो कॉलर लगाया गया एवं उसके बाद राजाजी टाइगर रिजर्व को सड़क मार्ग द्वारा भेजा गया। 

मंगलवार को प्रातः दस बजे राजाजी टाइगर रिजर्व में पहुंचने के उपरांत पुनः चिकित्सकों की टीम द्वारा इसका गहन परीक्षण किया गया तथा इसे वहां पर एक हेक्टेयर क्षेत्र के निर्मित बाड़े में प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा तथा निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व डॉ. साकेत बडोला की उपस्थिति में सकुशल छोड़ा गया। 

बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है तथा अपने नए इलाके में इसकी प्रत्येक गतिविधि पर सीसीटीवी कैमरा ट्रैप, ड्रोन एवं वहां पर तैनात वन कर्मियों द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि इस बाघिन को राजाजी टाइगर रिजर्व के खुले वन में छोड़ने का निर्णय सभी बिंदुओं की समीक्षा कर कुछ समय उपरांत लिया जाएगा।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने परियोजना में लगे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड वन्य जीव संरक्षण में हमेशा अग्रणी रहा है। यह ट्रांसलोकेशन इसी सफल क्रम की कड़ी है। उन्होंने अपेक्षा की है कि इस परियोजना के क्रियान्वयन से न केवल इन वनों में बाघ का कुनबा बढ़ेगा अपितु इससे पर्यटन के माध्यम से स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

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