बरेली: तीन साल में 18,629 पशुपालकों ने किया आवेदन, 1129 के बने सिर्फ क्रेडिट कार्ड

बरेली: तीन साल में 18,629 पशुपालकों ने किया आवेदन, 1129 के बने सिर्फ क्रेडिट कार्ड

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बरेली, अमृत विचार। सरकार की ओर से दो साल पहले किसानों की तरह पशुपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी कर न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराने की घोषणा तो कर दी लेकिन बैंकों ने इस योजना पर पानी फेर दिया। जिले में इस योजना के तहत तीन साल से 17500 पशुपालकों के आवेदन बैंकों में लंबित है। ये पशुपालक पशुपालन विभाग और बैंकों में चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें कोई जवाब तक नहीं मिल पा रहा है।

सरकार की यह योजना किसानों की आय दोगुनी करने के एजेंडे के तहत शुरू की गई थी ताकि पशुपालक डेयरी, मुर्गी और मत्स्य पालन के कारोबार से अपनी आय बढ़ा सकें। किसान क्रेडिट कार्ड बनाकर पशुओं के हिसाब से ऋण देने के आदेश जनवरी 2021 में जारी करने के साथ तीन साल में 27332 पशुपालकों को केसीसी जारी करने का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया था।

पशुपालन विभाग की ओर से सत्यापन के बाद 18629 आवेदन बैंकों को भेजे गए लेकिन केसीसी सिर्फ 1129 किसानों को ही जारी हो पाए। सीवीओ मेघश्याम कहते हैं कि सरकार की मंशा केसीसी देकर छोटे पशुपालकों को साहूकारों के जाल से बचाने की थी लेकिन बैंकों ने सहयोग नहीं किया।

केसीसी पर ऋण ब्याज दर सिर्फ चार फीसदी
जिले में करीब नौ लाख गोवंशीय पशुओं का पालन किया जा रहा है। किसान क्रेडिट कार्ड से पशुओं की संख्या के हिसाब से तीन से चार लाख रुपये तक का ऋण चार फीसदी ब्याज दर पर दिया जाता है। योजना का लाभ दिलाने के लिए विभाग आवेदन पर पशुओं का सत्यापन कर उनकी टैगिंग करता है। पैरावेट आवेदन में सत्यापन रिपोर्ट लगाकर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से हस्ताक्षर कराते हैं और फिर बैंकों को भेजते हैं। विभाग केसीसी बनवाने पर कोई शुल्क वसूल नहीं करता है।

डीएम से शिकायत के साथ एलडीएम को लिखे कई पत्र, कोई नतीजा नहीं
सीवीओ का कहना है कि उनके यहां सत्यापन करने के बाद आवेदन बैंकों को भेजे थे। ऋण देने की प्रक्रिया बैंक को पूरी करनी होती है। बैंक अगर किसी कारण ऋण नहीं दे सकते या फिर कोई आवेदन खारिज करते हैं तब भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी जाती है।

इस वजह से विभाग परेशान आवेदकों को भी कोई जवाब नहीं दे पाता है। कई बार डीएम की बैठक में बैंकों में फाइलें लंबित होने का मामला उठाया जा चुका है। लगातार लीड बैंक मैनेजर को भी पत्र लिखा जाता है। इसके बावजूद समस्या का कोई निदान नहीं हो पा रहा है।

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