बरेली: सेटेलाइट तिराहे पर खत्म नहीं होता जाम... क्योंकि पूरे दिन झूठ बोलती हैं मैडम

बरेली: सेटेलाइट तिराहे पर खत्म नहीं होता जाम... क्योंकि पूरे दिन झूठ बोलती हैं मैडम

बरेली, अमृत विचार। सेटेलाइट तिराहे पर पहुंचते ही मधुर आवाज में लगातार गूंजती एक चेतावनी कानों को सुनाई देने लगती है। लाउडस्पीकर पर कोई मैडम ठेले और ऑटो वालों को आगाह कर रही होती हैं कि वे बस अड्डे और सड़क की हद में कब्जा न करें वर्ना उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अतिक्रमणकारी भी शायद अच्छी तरह जानते हैं कि सरकारी इशारे पर एक ही रट लगाए रहने वाली मैडम को झूठ बोलने की आदत है।

इसी वजह से सेटेलाइट चौराहे से न अतिक्रमण हटता है, न कभी जाम खत्म होता है। पांच साल पहले सेटेलाइट फ्लाईओवर का निर्माण शहर के लोगों को इस तिराहे पर लगने वाले जाम से मुक्ति दिलाने के नाम पर ही शुरू कराया गया था लेकिन फ्लाईओवर बनने के बाद इस तिराहे पर जाम का संकट और ज्यादा भीषण हो गया है।

दरअसल पुल बनने से पहले भी इस तिराहे पर रहने वाला भीषण अतिक्रमण जाम की वजह था और अब भी अतिक्रमण के कारण ही जाम लगा रहता है। बल्कि पहले से भी ज्यादा भीषण हो गया है।

चौराहे पर लगा लाउडस्पीकर पर अतिक्रमणकारियों के लिए 24 घंटे गूंजने वाली चेतावनी खुद अतिक्रमण हटाने के लिए जिम्मेदार अफसर ही नहीं सुनते, इसलिए सड़कें लगातार और ज्यादा घिरती जा रही हैं। सरकारी सिस्टम की बेपरवाही पर अतिक्रमणकारियों को इस कदर विश्वास है कि उन्होंने बस अड्डे के परिसर को भी नहीं छोड़ा है।

यह भी बता दें कि शहामतगंज से सेटेलाइट तिराहे तक आने वाली सड़क 140 फुट से भी ज्यादा चौड़ी है। इसी तिराहे से पीलीभीत और शाहजहांपुर की ओर जाने वाली सड़क भी काफी चौड़ी है।

इस सड़क पर जाम से मुक्ति के लिए पुल बनाने के बजाय अतिक्रमण हटाना ही पर्याप्त था लेकिन फिर भी शहर के जनप्रतिनिधियों ने 26 करोड़ की लागत के अनावश्यक पुल को ही बनवाने को प्राथमिकता थी। यही नहीं, जनप्रतिनिधि इस पुल को टी शेप में बनवाना चाहते थे लेकिन विरोध की वजह से नहीं बनवा पाए। वर्ना शायद शहर के लोगों को इस इलाके में जाम का और ज्यादा भीषण संकट झेलना पड़ता।

ठेलों की अटूट कतार के आगे ऑटो वालों का जमघट, बसें निकलने के लिए जगह ही नहीं
ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की अनदेखी की वजह से सेटेलाइट बस अड्डा अतिक्रमण से चौतरफा घिरा रहता है। शहामतगंज की ओर से आते समय बस अड्डे की इमारत शुरू होने से पहले से ही ठेलों की कतार शुरू हो जाती है जो एक त्रिकोण की शक्ल में पीलीभीत रोड पर बस अड्डे से आगे तक खत्म होने का नाम नहीं लेती। ठेलों के आगे ही बस से उतरते ही सवारियों को घेरने के लिए ऑटो और टेंपो वालों का जमघट लगा रहता है। इससे न सिर्फ बस अड्डा सील पैक हो जाता है बल्कि सड़क भी आधी से ज्यादा घिरी रहती है।

इसके बाद न बसों के अड्डे के अंदर आने-जाने की पर्याप्त जगह बचती है न सड़क पर ट्रैफिक गुजरने की। पीलीभीत और शाहजहांपुर रोड पर दूर तक डग्गामार गाड़ियों का भी जमघट लगा रहता है। कोई रोकटोक नहीं है, इसलिए कई बार डग्गामार बसें भी बस अड्डे के ही बाहर खड़ी हो जाती हैं जिसकी वजह से सड़क और ज्यादा तंग हो जाती है।

रोडवेज अफसरों का दावा- नगर निगम पांच बार चिट्ठी लिखने के बाद भी नहीं सुन रहा
सेटेलाइट अड्डे के आसपास भीषण अतिक्रमण की वजह से रोडवेज के अफसर भी परेशान हैं। उनका कहना है कि ठेले और टेंपो वालों के अतिक्रमण की वजह से बसों का अड्डे से निकल पाना और अंदर आना कई बार मुश्किल हो जाता है।

अक्सर बस ड्राइवरों के झगड़े भी होते हैं। उनकी ओर से इस समस्या पर नगर निगम के अफसरों को अब तक पांच बार चिट्ठी लिखी जा चुकी है लेकिन न एक भी चिट्ठी का जवाब आया न ही नगर निगम की टीम कभी अतिक्रमण हटवाने पहुंची। सेटेलाइट अड्डे की तरह पुराने रोडवेज अड्डे पर भी भीषण अतिक्रमण मुसीबत बना हुआ है। सेटेलाइट अड्डे के बाहर ही बूथ पर हर वक्त पुलिस मौजूद रहती है लेकिन वह भी अतिक्रमण को अनदेखा करती रहती है।

बस अड्डे पर ठेले-ऑटो, इसलिए बसों का ठिकाना फ्लाईओवर के नीचे
बाहर से आने वाली बसें जब बस अड्डे के अंदर प्रवेश नहीं कर पातीं तो फ्लाईओवर के नीचे खड़ी कर दी जाती हैं। उसी दिशा में बस अड्डे से सटी सड़क पर भी बसें खड़ी कर दी जाती हैं। इस वजह से शहामतगंज से सेटेलाइट की तरफ आने वाली लेन पर जगह ही नहीं बचती और जाम लग जाता है।

सेटेलाइट और पुराने बस अड्डे के आगे अवैध ठेलों का भारी अतिक्रमण है। इसकी वजह से बसों को बाहर निकालने में दिक्कत होती है और सड़क पर जाम भी लगा रहता है। अतिक्रमण हटवाने के लिए नगर निगम को कई बार पत्र लिखा गया है लेकिन नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। - संजीव कुमार श्रीवास्तव, एआरएम बरेली डिपो

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