Kanpur News : दक्षिण एशिया बिरादरी का तीन दिवसीय 33वां सम्मेलन हरिहरनाथ शास्त्री भवन में शुरू

कानपुर में दक्षिण एशिया बिरादरी का तीन दिवसीय 33वां सम्मेलन हरिहरनाथ शास्त्री भवन में शुरू।

Kanpur News : दक्षिण एशिया बिरादरी का तीन दिवसीय 33वां सम्मेलन हरिहरनाथ शास्त्री भवन में शुरू

कानपुर में दक्षिण एशिया बिरादरी का तीन दिवसीय 33वां सम्मेलन हरिहरनाथ शास्त्री भवन में शुरू। अनेकता में एकता ही भारत को विश्व का रोल मॉडल बनाता है।

कानपुर, अमृत विचार। दक्षिण एशिया बिरादरी का 33वां तीन दिवसीय सम्मेलन यहां शास्त्री भवन (खलासी लाइन) में शुरू जिसमें ‘अनेकता में एकता’ विषय पर गहन मंथन किया गया। वक्ताओं ने भारत को अनेकता में एकता की दुनिया में मत्वपूर्ण मिसाल माना।

दक्षिण एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक संवाद और कार्यक्रमों के माध्यम से दक्षिण एशियाई देशों के मध्य मजबूत एकता बनाये रखने चाहिए। भारत में 22 भाषाओं को संविधान में मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा भारत में 1692 बोलियां बोली जाती हैं। शांति और सौहार्द के लिए सम्मेलन में वक्ताओं ने दक्षिण एशियाई देशों के बीच गहरा दोस्ताना संबंध पर विशेष बल दिया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। मुख्य अतिथि दक्षिण एशियाई बिरादरी के अध्यक्ष डॉक्टर सत्यपॉल ने कानपुर में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कुरबानियां देने वाले अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी, मौलाना हसरत मोहानी के साथ ही हरिहरनाथ शास्त्री को भी याद किया। उन्होंने कहा कि भारत में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, मुस्लिम सभी को बराबर का सम्मान दिया जाता है।

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सभी धर्मों के तीज त्योहारों पर छुट्टी भी दी जाती है। यही अनेकता में एकता विविधता पूर्ण भारत देश को अगर विश्व रोल मॉडल बनाता है जो वसुधैव कुटुम्बकम का सपना साकार करता है।

बिरादरी के महामंत्री दीपक मालवीय ने साउथ एशिया बिरादरी के सम्मेलन में आए लोगों का स्वागत किया और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सम्मेलन के विशेष उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। डॉ.वीएन सिंह, प्रो.शिवकुमार दीक्षित, रामकिशोर वाजपेयी, नौशाद आलम मंसूरी ने भी संबोधित किया। दो सत्रों में हुए कार्यक्रम का संचालन धीरज चड्ढा और एसके निगम ने बारी-बारी से किया।

केरल से पधारी चित्रा सुकुमारन ने कहा कि सहिष्णुता से परिपूर्ण नागरिक तैयार करने होंगे और किसी एक भाषा पर अपनी मजबूत पकड़ बनानी होगी। ओडिशा के डा.चितरंजन साहनी ने कहा कि मातृभाषा के साथ ही कला के माध्यम से अनेकता एकता के सूत्र को मजबूत करेंगे। नेपाल के साथी दशरथ महंत ने कहा कि भारत व नेपाल सदियों से धार्मिक तथा सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हैं। कार्यक्रम में दस राज्यों के 60 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
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सम्मेलन में भाग लेने आए प्रतिनिधि

डॉ.सत्यपॉल को सुब्बाराव स्मृति सम्मान दिया गया

साउथ एशिया बिरादरी के संस्थापक अध्यक्ष एवं लोकसेवक मंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉ.सत्यपॉल को डॉ.एसएन सुब्बाराव स्मृति सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें दक्षिण एशियाई देशों के बीच कला और संस्कृति के माध्यम से मजबूत संबंध बनाने और बृहत्तर समाज सेवा के लिए दिया गया। गांधी शांति प्रतिष्ठान कानपुर के अध्यक्ष दीपक मालवीय और पूर्व अध्यक्ष गांधीवादी जगदम्बा भाई ने शॉल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस मौके पर नेशनल यूथ प्रोजेक्ट के निदेशक मधूसूदन दास, लोकसेवक मंडल के आजीवन सदस्य आरके जेना, रवि महंति, नेपाल से आए मदन भंडारी, प्रवेश चौधरी, संजीव अधिकारी, बद्रीप्रसाद मुदवारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

दीदी के घर आए हैं सीमा पर थोड़ा ढील दो मोदी जी

जानकी माता को दीदी मानने वाले नेपाल से आए प्रतिनिधियों का भारत-नेपाल संबंध को लेकर दर्द उभरा। प्रवेश चौधरी की भाषण के वक्त आंखें छलक आईं। वह बोले, दीदी के घर आए हैं। भारत-नेपाल की सीमा पर पहले के मुकाबले बहुत सख्ती है। दोनों देशों के लोग जरूरत चीजें सीमा पार से खरीद लाते हैं पर अब सख्ती के कारण यह सब प्रभावित हुआ है। पीएम इस थोड़ा ध्यान दें। भारत और नेपाल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक संबंधों के आधार पर एक लंबा रिश्ता साझा करते हैं। खुली सीमा के कारण मधुर संबंध भी हैं। दोनों देशों के बीच रिश्तों को मधुर बनाए रखना साउथ एशिया बिरादरी की प्राथमिकता होनी चाहिए।

याद किए गए हरिहरनाथ शास्त्री

श्रम आंदोलन का ऐतिहासिक केंद्र रहा खलासी लाइन का शास्त्री भवन और कानपुर से पहले सांसद चुने गए हरिहरनाथ शास्त्री को याद करके दक्षिण एशियाई बिरादरी के अध्यक्ष डॉ.सत्यपॉल की आंखें नम हो गयीं। शास्त्री जी के साथ ही लाला लाजपतराय को भी याद किया गया। डॉ.सत्यपॉल ने लालाजी के सहयोगी रहे हरिहरनाथ शास्त्री को महान श्रमिक नेता बताए हुए कहा कि जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन आयोजकों ने ब्रिटिश हुकूमत के लेबर मिनिस्टर को भारत के प्रतिनिधि के रूप में बुलाया तो लाला लाजपतराय ने विरोध किया और कहा कि प्रतिनिधि भारतीय होना चाहिए। इस पर आयोजक भारतीय प्रतिनिधि की भागीदारी को तैयार हो गए। लाला लाजपत राय, डॉ.वीवी गिरि व बतौर सचिव हरिहरनाथ शास्त्री ने प्रतिनिधित्व किया। हरिहरनाथ शास्त्रीनगर उन्हीं के नाम पर बसाया गया। किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की यह पहली विजय थी। डॉ.सत्यपॉल ने कहा कि यह गौरव की बात है कि क्रांतिकारियों की धरती कानपुर में शास्त्री की स्मृति में बने हरिहरनाथ शास्त्री सभागार में दक्षिण एशिया बिरादरी का 33वां सम्मेलन आयोजित किया गया है।