पीलीभीत: धान हो गया खत्म, उछाल मार गई खरीद, जिम्मेदारों ने लक्ष्य की राह कर ली आसान!

पीलीभीत: धान हो गया खत्म, उछाल मार गई खरीद, जिम्मेदारों ने लक्ष्य की राह कर ली आसान!

पीलीभीत,अमृत विचार। सरकारी धान खरीद के लक्ष्य को पाने की चुनौती अब धीरे-धीरे दूर हो रही है। मंडी में भले दैनिक लक्ष्य के सापेक्ष धान पहुंच रहा या नहीं? मगर सिस्टम ने ऐसी नीति अपनाई कि लगातार खरीद के आंकड़ों में तेजी से उछाल हो रहा है। नतीजतन जो खरीद 20 दिन के भीतर खरीद लक्ष्य के सापेक्ष 8.73 प्रतिशत से बढ़कर 35.90 प्रतिशत के पार पहुंच गई है।  इसे लेकर अफसर राहत महसूस कर रहे है। वहीं, खरीद में खेल का शोर भी बढ़ने लगा है। फिलहाल लक्ष्य पाने के लिए जिम्मेदारों द्वारा बनाई गई रणनीति जरुर कारगर साबित होती दिखाई दे रही है।

बता दें कि जनपद में सरकारी धान खरीद हर साल सुर्खियां बनती रही है। किसान को भले न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ ना मिल पाए लेकिन लक्ष्य को पाने के लिए खरीद के अंतिम दिनों में ही उछाल होता रहा है। इस बार भी शुरुआत से पिछड़ती चली आ रही सरकारी धान खरीद में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। बीते सालों की तरह एक अक्टूबर से धान खरीद शुरू हुई। छह एजेंसियों के 161 क्रय केंद्र बनाए गए। जिन पर सरकारी धान खरीदा जा रहा है।

शुरुआती डेढ़ माह की बात करें तो खरीद का हाल बेहाल था। अठारह नवंबर तक लक्ष्य के सापेक्ष 8.73 फीसदी ही धान सरकारी केंद्रों पर खरीदा जा सका था। इसके बाद जिम्मेदार भी चिंता में पड़ गए थे कि आखिर लक्ष्य की पूर्ति होगी तो कैसे? फिर बताते हैं कि पुराने ढर्रे पर खरीद को नया रूप देने की कोशिश कर दी गई। जिसका परिणाम भी अब आंकड़ों में दिखाई देने  लगा है। 07 दिसंबर तक यानि बीस दिन में ही खरीद 35.90 प्रतिशत के पार हो चुकी है। ब तक 107708.21 मीट्रिक टन धान सरकारी केंद्र में खरीदा जा चुका है। जबकि मंडियों में क्रय केंद्रों पर धान की आवक कम होती दिखाई दे रही है। खैर, कुछ भी हो इस खरीद के आंकड़ों में उछाल ने जिम्मेदारों की टेंशन जरुर कम कर दी है।

बिना धान किसानों के अंगूठे लगाने के भी लग चुके आरोप
क्रय केंद्रों पर धान की खरीद में उछाल के आंकड़ों के बीच कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो चुके हैं। जिसके बाद खरीद में खेल का शोर भी बढ़ा रहा। आरोप लगाए गए कि बिना धान के ही पहुंच रहे किसानों के सिर्फ अंगूठे लगवाए जा रहे हैं।  उस वक्त मामले को जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बताते हैं कि कुछ केंद्रों पर खरीद अचानक तेजी से बढ़ गई। मगर इसे लेकर जिम्मेदारों चुप्पी साण गए हैं।

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