मुरादाबाद : जाकड़ू गांव में बही नीली क्रांति की बयार, गाजियाबाद व दिल्ली की मंडी से कारोबार

सफलता : गांव के 500 किसानों ने मछली पालन को बनाया व्यवसाय

मुरादाबाद : जाकड़ू गांव में बही नीली क्रांति की बयार, गाजियाबाद व दिल्ली की मंडी से कारोबार

मुरादाबाद,अमृत विचार। कहते हैं जहां चाह वहीं राह। यानी मन से काम करने वाले रेगिस्तान में हरियाली उगा सकते हैं। इन दिनों जनपद अमरोहा के जाकड़ू गांव का मछली कारोबार चर्चा में है। यू कहें तो यहां की मिट्टी नीली क्रांति की बयार बहा रही है। 500 किसान अब धान, गेहूं, गन्ना से मुंह मोड़कर मछली का उत्पादन कर रहे हैं। किसान लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराने लगे हैं।

धनौरा ब्लाक का गांव जाकडू गांव इस समय मछली पालन करने वालों और व्यावसायिक खेती करने की योजना बनाने वालों का तीर्थ जैसा स्थान हो गया है। मझोला क्षेत्र के मनोहरपुर स्थित जार्डस केंद्र के प्रभारी ने टीम सहित गांव का भ्रमण किया। वहां के किसानों से बातचीत की और गन्ना और आम की बागवानी के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली पालन की वजहों को जानने का प्रयास किया। बात शुरू हुई तो सिलसिलेवार रोचक जानकारियां सामने आने लगीं। अब केंद्र पर मछली पालन का अध्ययन करने वाले यहां के किसानों के अनुभव और प्रयास पर शोध में जुट गए हैं।

चर्चा में गांव के आसिम, महावीर, जाकिर, राजेंद्र सिंह ढिल्लो, इमरान, वरुण सिंह, अबरार, सलमान सहित अन्य लोग नीली क्रांति के गीत गुनगुनाने लगे। बताया गया कि क्षेत्र के करीब पांच सौ किसान 350 एकड़ भूमि पर मछली का पालन कर रहे हैं। ऐसे कहें तो 2200 बीघा भूभाग पर मछली काली जा रही है। फंगास प्रजाति की मछली यहां अधिकतर किसानों की पंसद है। कारण यह कि यह प्रजाति पांच से छह माह के भीतर तैयार हो जाती है। सोल और गोल्डन फिश पालने वाले भी यहां हैं।

खेती और कृषि विविधिकरण के विशेष डा.दीपक मेंदिरत्ता कहते हैं कि फंगास प्रजाति छह माह के भीतर एक किलोग्राम वजन की हो जाती है। यहां मछली पालन से जुड़े लोगों ने मुर्गा और बत्तख फार्म के वेस्टेज से मछलियों को खाना उपलब्ध कराने का नया प्रयोग सफल किया है। अमरोहा की मछली सथानीय मंडी से अधिक गाजियाबाद और दिल्ली के मंडी में खप रही है।

विभाग में पंजीकृत मछली पालक

  • मुरादाबाद- 956
  • बिजनौर- 996
  • संभल- 647
  • रामपुर- 574
  • अमरोहा- 450

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