प्रयागराज: तुलसी पर लगा ठंड और पाले का 'ग्रहण'!, अधिकांश खेतों-घरों में सूखी, किसानों को हुआ भारी नुकसान!

ठंड से झड़ गए तुलसी के पत्ते, बाजार में तुलसीदल की रहती है डिमांड, पूजा पाठ, औषधि के आते हैं काम,

प्रयागराज: तुलसी पर लगा ठंड और पाले का 'ग्रहण'!, अधिकांश खेतों-घरों में सूखी, किसानों को हुआ भारी नुकसान!

लोग बोले- तुलसी का सूखना अशुभ!

जारी/नैनी, प्रयागराज। इस वर्ष सर्दियों में ऐसी कड़ाके की ठंड पड़ी कि तुलसी पर ग्रहण लग गया। इलाके में एक भी पौधा ऐसा नहीं है, जिसकी पत्तियां हरी हों। यहां तक की जड़ से तुलसी इस कड़ाके की ठंड में पाले के कारण सूख गई ।

ग्रामीण बताते हैं कि माघ महीने में हर पूजा पाठ में तुलसी दल की आवश्यकता होती है। तुलसी की पत्तियां वैसे भी चाय और काढे़ में स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानी जाती हैं। पूजा पाठ में भगवान का भोग बिना तुलसी दल के नहीं लगता। लेकिन मौसम की मार के कारण लाख जतन के बावजूद लोग तुलसी के बिरवे को नहीं बचा सके। किसानों ने कहा कि तुलसी के सूखने से उनको काफी नुकसान हुआ है। 

जारी ग्राम की किरण सिंह बताती हैं कि हम रोज रात में तुलसी के बिरवे को चुनरी ओढा़ते थे। इसके बावजूद भी ओश की बूंद में जाने कौन सा  जहर घुला की तुलसी का पेड़ सूख गया। बड़े हनुमान मंदिर जारी के महंत बाबा बालक दास बताते हैं कि तुलसी दल के बिना प्रसाद माघ महीने में अधूरा है। भक्तों को तुलसी दल न मिलने के कारण पूजा अधूरा सा लगता है। भंडारे आदि  कार्यक्रमो में तुलसी दल बिना पड़े भंडारा पूर्ण नहीं होता।

कुछ लोग तुलसी के सूखे पत्ते को घर में सहेज कर रख लिए हैं। उसी से पूजा पाठ का काम चला रहे हैं। ऐसा कई वर्षों के बाद ऐसा हुआ है, जब आंगन के तुलसी सूख गई । गडै़या गांव के राम कैलाश पांडेय बताते हैं कि तुलसी का सूखना अशुभ माना जाता है। अब लोग मार्च, अप्रैल के महीने में तुलसी के बीज को बोने की तैयारी में हैं, जिससे नई तुलसी का पौधा आंगन और मंदिरों में तैयार हो सके। बुखार, खांसी, जुकाम और सांस के मरीज के लिए तुलसी का काढ़ा रामबाण साबित होता है। अब वह मरीज मेडिकल स्टोर से तुलसी का सत्त खरीद कर काम चला रहे हैं।

अनेकों औषधीय गुणों से युक्त है तुलसी

भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है। आयुर्वेद के जानकार डॉ पीके पाठक बताते हैं कि आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है।

तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है, क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है। तुलसी में कैंसर रोधी गुण भी पाए जाते है। सुबह खाली पेट गाय के दही के साथ कुछ तुलसी की पत्तियों को सम्मिलित करके सेवन किया जाए तो कैंसर रोग को खत्म करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।

पंचामृत में भी तुलसी डालने का विशेष प्रयोजन यही है कि जो भी इसका सेवन करें उसे औषधीय गुण भी प्राप्त हो सके। इसका प्रयोग अर्क के रूप में और तेल के रूप में तथा पत्तियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसकी जड़ का भी प्रयोग किया जाता है जो स्वास्थ्य की रक्षा करता है।

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इसमें रोग प्रतिरोध क्षमता का गुण भी पाया जाता है जो हमें कई तरह के रोगों से रक्षा करता है। सर्दी जुकाम खांसी में तो हर घर में प्रचलन है इसे प्रयोग करने का। तुलसी के धार्मिक-महत्व के कारण हर-घर आगंन में इसके पौधे लगाए जाते हैं। तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है। चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन है।

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