Kanpur News: जेके कैंसर अस्पताल में एक-दो दिन पहले आएं तो इलाज पाएं...रोगियों से बाहर से मंगाई जा रहीं दवाएं

कानपुर के जेके कैंसर अस्पताल में एक-दो दिन पहले आएं तो इलाज पाएं

Kanpur News: जेके कैंसर अस्पताल में एक-दो दिन पहले आएं तो इलाज पाएं...रोगियों से बाहर से मंगाई जा रहीं दवाएं

कानपुर, अमृत विचार। जेके कैंसर संस्थान में सेम डे इलाज व जांच कराना मुश्किल है, क्योंकि पहले से ही मरीज संस्थान के बाहर एक या दो दिन पहले से इलाज व जांच कराने की आस में फुटपाथ पर लेटे रहते हैं। रावतपुर स्थित जेके कैंसर संस्थान की ओपीडी में प्रतिदिन दो सौ के करीब मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इन मरीजों को डॉक्टरों का परामर्श तो मिल जाता है लेकिन संस्थान में भर्ती होने, जांच और दवा समेत आदि सुविधाओं का लाभ लेने के लिए मरीजों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

एक से दो दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। परिसर में बने रैन बसेरे में ताला पड़ा रहता है, जिस वजह से मरीज और तीमारदार फुटपाथ और पार्क में लेटते हैं। कैंसर के रोगियों को निजी मेडिकल स्टोरों से हजारों रुपये की दवाएं और निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों की जांचें लिखीं जा रही हैं। गंभीर मरीजों के लिए तो संस्थान में पर्याप्त संसाधन तक नहीं हैं।

केस-1

उन्नाव निवासी व्यक्ति ने बताया कि पत्नी की जुबान में कैंसर हो गया है। दो माह से जेके कैंसर संस्थान से इलाज चल रहा है। मंगलवार को भी वह इलाज कराने पहुंचे तो बाहर से हजारों रुपये की दवा मंगवाईं व जांचें लिखीं। पत्नी के मुंह में नली पड़ी है, उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, इसलिए संस्थान के बाहर लिटाने पर मजबूर हैं। 

केस-2

जालौन निवासी व्यक्ति ने बताया कि 55 वर्षीय पिता के गले में कैंसर है, जेके कैंसर संस्थान में डॉक्टर ने दवा तो मंगा ली, लेकिन अस्पताल में भर्ती नहीं किया। जबकि अस्पताल में बेड खाली हैं। भर्ती न किए जाने पर मजबूरन पिता को संस्थान परिसर में फुटपाथ पर लिटाना पड़ रहा है। 

केस-3

हरदोई निवासी युवक ने बताया कि 58 वर्षीय मां के गले में कैंसर है, उनको जांच के लिए जेके कैंसर संस्थान लाए। पता चला कि संस्थान में प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों की जांच की जाती है। अन्य बचे रोगियों को नंबर दे दिया था, इसलिए रात फुटपाथ पर काटनी पड़ती है। वहीं, दो मंजिला रैन बसेरा बना है, लेकिन वहां व्यवस्था नहीं है। 

केस-4

बांदा निवासी 62 वर्षीय वृद्ध ने बताया कि गले में कैंसर हो गया था, जिसके लिए थेरेपी की जरूरत पड़ती है। कैंसर के दर्द के साथ परिसर में पूरा दिन व रात फुटपाथ गुजारते हैं। अब पांचवी थेरेपी होनी है, जिसके लिए एक दिन पहले आना पड़ता है, नहीं तो थेरेपी मिलना मुश्किल हो जाता है। 

मरीज व उनके तीमारादारों के रुकने के लिए जेके संस्थान परिसर में रैन बसेरा की सुविधा है। उनको रैन बसेरे में जाना चाहिए। डॉक्टरों द्वारा संस्थान में मरीजों को भर्ती किया जाता है। मशीनें पुरानी हैं, जिस वजह से निर्धारित जांचें ही की जाती हैं। अस्पताल में दवाएं उपलब्ध हैं। जो डॉक्टर बाहर की दवा लिख रहे हैं उनसे पूछताछ की जाएगी।- डॉ.एसएन प्रसाद, निदेशक जेके कैंसर संस्थान, रावतपुर

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