बरेली: नहीं थम रही खाद की किल्लत, एक साथ तीन फसलों की बुआई से हुई समस्या उत्पन्न
बीते समय हुई बारिश ने किसान की फसल को चौपट कर दिया था।
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बारिश से बर्बाद हुई फसल की भरपाई करने के लिए किसान अब रबी की पैदावार बढ़िया करना चाह रहा है। वह किसी तरह इस संकट से
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बरेली, अमृत विचार। बारिश से बर्बाद हुई फसल की भरपाई करने के लिए किसान अब रबी की पैदावार बढ़िया करना चाह रहा है। वह किसी तरह इस संकट से कुछ राहत पा सके, लेकिन जिले में खाद को लेकर मारामारी थमने का नाम नहीं ले रही है।
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अधिकारियों का कहना है कि दिवाली के बाद जो बारिश हुई उसका फायदा उठाने के लिए किसान रबी की तीनों महत्वपूर्ण फसलों आलू, सरसों, गेहूं की बोवाई एक साथ कर रहे हैं। जिसकी वजह से मांग में इजाफा हुआ है। हालांकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि खाद की कमी जैसी कोई बात नहीं है। कृषि विभाग के दावे पर भरोसा इसलिए नहीं होता क्योंकि बीते बुधवार तक जनपद के बिक्री केंद्रों पर 2582 मीट्रिक टन डीएपी, 1194 मीट्रिक टन एनपीके व 18540 मीट्रिक टन यूरिया मौजूद था।
जिले में कुल 23213 मीट्रिक टन खाद अवशेष था। जबकि जिले में डीएपी की बिक्री औसतन 500 से 600 मीट्रिक टन प्रतिदिन एनपीके की बिक्री औसतन लगभग 200 से 250 मीट्रिक टन प्रतिदिन होती है। इस लिहाज से देखेंगे तो मौजूद समय में चार से पांच दिन का ही स्टॉक फिलहाल क्रय केंद्रों पर बचा हुआ है।
खाद की कमी होने पर बीते दिनों साधन सहकारी समिति अलीगंज, बल्लिया, राजपुर कलां, आंवला पश्चिमी, कुड्डा, भिंडौलिया, सूदनपुर, धनेटी पर डीएपी की आपूर्ति पीसीएफ गोदाम से कराई गई थी। साथ ही 3700 मीट्रिक टन इफ्को डीएपी उर्वरक की रैंक आने के बाद उसका वितरण कराया गया था। बीते सप्ताह चंबल फर्टिलाइजर की रैंक आई थी जिसमें से 550 मीट्रिक टन एनपीके प्राप्त हुआ था। जिसे बिक्री केंद्रों पर मुहैया कराया गया था।
जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी ने बताया कि किसानों द्वारा रबी की तीन महत्वपूर्ण फसलों की बुवाई एक साथ की जा रही है जिसकी वजह से मांग बढ़ी है। व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। खाद्य की किल्लत हो रही है।
किसानों को गेंहू, आलू व सरसों से है आस
बीते समय हुई बारिश ने किसान की फसल को चौपट कर दिया था। उसकी खड़ी धान की फसल बारिश मे बर्बाद हो गई थी। अब किसानों के लिए गेंहू, आलू, व सरसों की फसल से काफी आस है।इन तीनों फसलों से वह अपने नुकसान की भरपाई कर सकता है। वहीं मुआबजे के नाम पर किसानों को अभी तक केवल आश्वासन ही मिला है। अभी तक किसानों को मुआबजे की राशी नहीं मिली है।वह चाहता है कि फसल की बढ़िया उत्पाद कर वह नुकसान की भरपाई कुछ हद तक कर सकता है।
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