कासगंज: अमृत से माटी को नया जीवन, जिले को विश्व पटल पर मिलेगी पहचान

 कासगंज: अमृत से माटी को नया जीवन, जिले को विश्व पटल पर मिलेगी पहचान

कासगंज, अमृत विचार। जिला किसी न किसी क्षेत्र में नित्य नई सफलता की ओर बढ़ रहा है। अब जल और मृदा संरक्षण के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रच दिया है। उर्वरक रहित फसलों को बिना बीमारी के तैयार कर न सिर्फ आर्थिक समृद्धि किसान हासिल कर रहे हैं बल्कि कासगंज को विश्व भर में पहचान दिलाने के लिए कीर्तिमान रच रहे हैं। जिले के किसानों ने डब्लूडब्लूएफ के विशेषज्ञों के टीम के मदद से पूर्व में किए गए अमृत पानी के प्रयोग में सफलता मिलने के बाद अब 900 यूनिट अमृत पानी की तैयार कर दी हैं। डब्लूडब्लूएफ के क्षेत्रीय अधिकारियों ने यह रिपोर्ट केंद्रीय कार्यालय को भेजी है। केंद्रीय कार्यालय अन्य देशों में भी इन किसानों का उदाहरण पेश करेगा। 

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फसल को कोई बीमारी न लगे और बेहतर पैदावार हो यही उम्मीद किसान रखते हैं। किसानों को जागरुक करने का कार्य डब्लूडब्लूएफ की टीम कर रही है। फसल को सुरक्षित रखने के लिए किसान अपने हाथों से तैयार किए गए अमृत पानी और खाद का प्रयोग अब जिले की माटी में करने लगे हैं। जिससे सिर्फ माटी को ही नया जीवन नहीं मिला है बल्कि सिंचाई भी किफायती हो गई। अमृत पानी के साथ ही अमृत खाद भी किसान तैयार कर रहे हैं। सबसे अधिक जागरुता काली नदी के किनारे के किसानों में दिख रही है।

 गांव लखमीपुर, बजीरपुर यादगारपुर, गेंदूपुर, जारई, जाटऊ सहित 50 से अधिक गांव के किसान अमृत पानी और खाद के लिए जागरुक दिखे हैं। तभी तो अब तक 900 किसान अमृत पानी और खाद की यूनिट लगाकर इन्हें तैयार कर रहे हैं। डब्लूडब्लूएफ के अधिकारी यहां सर्वे के बाद रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं। यह रिपोर्ट केंद्रीय कार्यालय दिल्ली भेजी जाएगी। इसके अलावा अभी अन्य किसान भी और जागरुक दिखाई दे रहे हैं। 

क्या है अमृत पानी और किस तरह होता है तैयार 
अमृत पानी और जैविक खाद से एक तो उर्वरा शक्ति बढ़ती है। मिट्टी में केमिकल रहित पोषक तत्व बढ़ते हैं। सबसे अहम बात है कि इस पानी के छिड़काव से खेतों में नमी बनी रहती है। जिससे कम और हल्की सिंचाई की जरूरत महसूस होती है और जल संरक्षण भी होता है।

इस पानी को तैयार करने की विधि है एक लीटर गो-मूत्र, एक किलोग्राम गाय का गोबर, एक किलोग्राम नीम की पत्ती, एक किलोग्राम चने या दाल का बेसन, 100 ग्राम गुड़ को 10 लीटर पानी में मिलाकर प्लास्टिक डिब्बे में रखकर घुमाया जाता है। फिर डिब्बे के ढक्कन पर मिट‌्टी लगाकर 15 दिन तक के लिए छांव में रख दें। उसके बाद आठ किलोग्राम गाढ़ा घोल तैयार हो जाएगा इसे छान कर प्लास्टिक की बोतल में भर लें। 15 मिली लीटर अमृत पानी को इतनी मात्रा के सामान्य पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें। एक लीटर में एक एकड़ फसल में अमृत पानी का छिड़काव करें। 

क्या है डब्लूडब्लूएफ 
डब्लूडब्लूएफ (वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड) विश्व स्तरीय संस्था है जो जल संरक्षण, जैव विविधता, जलीय जीव संरक्षण, मृदा संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करती है। कासगंज में परियोजना अधिकारी हिमांशु शर्मा की देखरेख में यह टीमें कार्य कर रही हैं। 

कासगंज जिले में लगभग 900 किसान छोटी छोटी देसी यूनिट लगाकर अमृत पानी तैयार कर रहे हैं। किसानों में जागरुकता दिखाई दी है। केंद्रीय कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है। केंद्रीय कार्यालय से अन्य देशों में प्रस्तुतिकरण होता है। कासगंज भविष्य में नया इतिहास रचने की ओर अग्रसर है।- राजेश बाजपेयी, सीनियर कोर्डिनेटर डब्लूडब्लूएफ कानपुर 

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