हल्द्वानीः जंगली जानवरों के डर से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की सुरक्षा में लगे कर्मी भयभीत 

हल्द्वानीः जंगली जानवरों के डर से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की सुरक्षा में लगे कर्मी भयभीत 

गौरव तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। अरबों की लागत से निर्मित हुआ इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों के अंदर जंगली जानवरों को लेकर डर हमेशा बना रहता हैं। जिससे रात के समय इन कर्मियों के सामने चुनौती और बढ़ जाती है। 

गौलापार में निर्माण हुआ अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं से लैस स्टेडियम में वर्तमान समय में जंगली जानवरों का भय  बना रहता है। यहां पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को हर वक्त डर सताता रहता है। दो वर्ष पहले गौला नदी के किनारे स्थित स्टेडियम का बाउंड्रीवाल बढ़े हुए जल स्तर की चपेट में आने से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

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जिसके चलते स्टेडियम के पीछे वाले भाग में बाउंड्रीवाल का नामों निशान तक मिट गया है। जो वर्तमान समय में पूरी तरह से खुला हुआ है, और रात के अंधेरे में जंगली जानवरों का आना-जाना स्टेडियम में लगा रहता है। जिससे यहां पर तैनात सुरक्षा कर्मी इन जानवरों के हमले के शिकार होते होते बचे हैं। लेकिन इसके बाद भी खेल विभाग की ओर से अभी तक इस बाउंड्रीवाल का निर्माण दूबारा से नहीं कराया गया है।

स्टेडियम की सुरक्षा में तैनात प्रभारी इंद्रजीत ने बताया कि स्टेडियम के चारों ओर बाउंड्रीबाल न होने से स्टेडियम के अंदर जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है। जिससे स्टेडियम की देखरेख करने वाले कर्मियों में भय व्याप्त रहता है। आगे इंद्रजीत ने बताया, जंगली जानवरों के भय में नौकरी भी करना है और स्वयं की परवाह भी।

आपको बता दें कि स्टेडियम का काम प्रगति पर है, लेकिन सुरक्षा की नजर से स्टेडियम के चारों ओर बाउंड्रीबाल होना जरूरी है। जिससे स्टेडियम की देखरेख करने वाले कर्मियों का भय खत्म हो जाएगा। क्योंकि जिस ओर से जंगली जानवरों का आवागमन रहता है उस ओर अभी भी घने जंगल हैं। घने जंगलों की आड़ का सहारा लेकर जंगली जानवर रिहाइशी इलाके में आ आते हैं जो चिंताजनक है। 

स्टेडियम की सुरक्षा 12 कर्मियों के भरोसे

इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की सुरक्षा 12 कर्मचारियों के भरोसे है। कर्मियों के मुताबिक बाउंड्रीवाल का निर्माण नहीं होने के चलते जंगली जानवरों का भय तो बना ही रहता है। इसी के साथ बाउंड्रीवाल नहीं होने का फायदा उठाकर कई बार चोर भी स्टेडिमय में प्रवेश कर जाते है। जिससे स्टेडिमय में सुरक्षा की चुनौती और बढ़ जाती है। इसलिए हमें पूरी रात जग कर पहरा देना होता है। जिससे यहां पर किसी प्रकार की चोरी को अंजाम न दिया जा सके। बाउंड्रीवाल का निर्माण हो जाता है, तो सुरक्षा कर्मियों को भय से मुक्त हो जायेंगे।

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