उम्मीदों के अनुरूप

उम्मीदों के अनुरूप

मुद्रा स्फीति नरम पड़ने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। रेपो दर में संशोधन नहीं करने का फैसला उम्मीदों के अनुरूप है। शीर्ष बैंक के इस फैसले से समग्र अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। यह लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा है जिसमें केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है।

रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि वह वृद्धि की रफ्तार को कायम रखते हुए महंगाई दर को और नीचे देखना चाहता हैं। हालांकि, नीतिगत दरों में लगातार बढ़ोतरी के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र को दर में मामूली कटौती के रूप में केंद्रीय बैंक से कुछ राहत की उम्मीद थी। इस बीच सऊदी अरब ने रविवार को तय किया कि वह कच्चे तेल के उत्पादन में आगामी जुलाई से रोजाना 10 लाख बैरल की कमी करेगा, जबकि ओपेक तथा अन्य देशों ने उत्पादक कटौती को 2024 के अंत तक के लिए बढ़ा दिया है।

कम आपूर्ति से कीमत बढ़ेगी और मुद्रास्फीति पर भी असर होगा। समग्र वृहद आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए अनुमान था कि एमपीसी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित छोड़ सकती है। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। रिजर्व बैंक के इस कदम से वाहन, मकान और अन्य ऋणों पर ब्याज दर में अभी बढ़ोतरी नहीं होगी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गत सप्ताह जारी किए गए आंकड़े दिखाते हैं कि 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही, जबकि आधिकारिक अनुमान सात फीसदी की वृद्धि का था। ध्यान देने वाली बात है कि मुद्रास्फीति की दर अभी भी चार फीसदी के दायरे से ऊपर है और रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह टिकाऊ ढंग से तय लक्ष्य के करीब पहुंचे।

पिछले दिनों आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि आरबीआई ने अपने अब तक के अनुभव के आधार पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा को (सीबीडीसी) ढांचे को और बेहतर किया है। अब रेपो दर को यथावत रखने के फैसले से महंगाई पर अंकुश लगेगा। यानि सरकार व केंद्रीय बैंक की महंगाई के खिलाफ लड़ाई जारी है और बैंकिग प्रणली स्थिर और मजबूत बनी हुई है।  

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