वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा

वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा

सेंट पीटर्सबर्ग में एक कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद 21वीं सदी के सबसे गंभीर खतरों में से एक बना हुआ है। वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खतरा है जिसे जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है। विश्व राजनीति आज तेजी से आतंकवाद की चपेट में आ रही है।

इंटरनेट और सोशल मीडिया समाज को अस्थिर करने के लिए दुष्प्रचार, कट्टरपंथ और साजिश के सिद्धांत फैलाने के लिए आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के उपकरण बन गए हैं। सवाल है कि 21वीं सदी में लोकतंत्र, सुशासन, विकास और राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए उभरते आतंकवाद के खतरे के बारे में क्या किया जाना चाहिए। 

इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद की घटनाएं न्याय, लोकतंत्र, सार्वजनिक जवाबदेही, राष्ट्रीय संसाधनों के वितरण और जातीय सहिष्णुता, धार्मिक सहिष्णुता और इसी तरह सत्ता साझा करने के मुद्दों पर बढ़ते समकालीन संघर्षों के साथ बढ़ेंगी। 

साथ ही सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्चस्तरीय अधिकारियों की 12वीं अंतर्राष्ट्रीय बैठक में भाग लेते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भारत आतंकवादियों और अपराधियों द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग तथा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए सहयोग जारी रखेगा। उन्होंने सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक खुले, स्थिर, सुरक्षित, विश्वसनीय और समावेशी ढांचे के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया। 

इस तरह के सहयोग की रूपरेखा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम समझ विकसित करने में मदद के लिए सरकारों से लेकर निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत, तकनीकी समुदायों और सिविल सोसायटी तक सभी हितधारक और नियमित संस्थागत संवाद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए सुरक्षा मानकों के विकास के माध्यम से समान विचारधारा वाले देशों की क्षमता निर्माण और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के लिए तंत्र का निर्माण भी ऐसे सहयोग का हिस्सा होना चाहिए। 

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मामले में, प्रासंगिक संधि प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। साइबर अपराध पर संयुक्त राष्ट्र का समझौता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण पहल होगा। सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने और विश्वसनीय व समावेशी ढांचा बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। 

सरकारों और समाज को हमेशा आतंकवाद की प्रत्येक घटना का अध्ययन करने और उचित समाधान लागू करने की आवश्यकता है, क्योंकि कहा जाता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। डिजिटल आतंकवाद की चुनौती को विफल करने के लिए इस खतरे के बारे में सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है।

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