जिला प्रभारी की नियुक्तियों में भाजपा ने जताया कनपुरियों पर भरोसा

मोदी और योगी का क्षेत्र अरुण पाठक व सलिल के हवाले

जिला प्रभारी की नियुक्तियों में भाजपा ने जताया कनपुरियों पर भरोसा

अमृत विचार, कानपुर। सियासत के मामले में कानपुर की धरती बहुत उपजाऊ है। यहां के नेताओं का कोई सानी नहीं है चाहे कोई भी दल हो तभी तो भारतीय जनता पार्टी ने मिशन-80 के लिए जिला प्रभारियों की नियुक्ति में सबसे ज्यादा भरोसा कनपुरियों पर जताया है। यहां से छह दिग्गजों की महत्पूर्ण जिलों में बतौर जिला प्रभारी के पद पर तैनाती की गयी है। लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों को जिला प्रभारी बनाए जाने से दावेदारी के समीकरण दिलचस्प हो गए हैं। वहीं इन हैवीवेटों की तैनाती से प्रतिस्पर्धी दावेदारों की बांछे खिल गयीं।

बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सोमवार को जिला प्रभारियों की सूची जारी की है। जिसमें एमएलसी अरुण पाठक को वाराणसी महानगर एवं जिला का प्रभारी बनाया है तो एमएलसी सलिल विश्नोई को गोरखपुर जिला एवं महानगर का प्रभारी नियुक्त किया। यह दोनों ही क्षेत्र क्रमश: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हैं। वहीं एमएलसी मानवेंद्र सिंह को देश की राजधानी की करवट में बसे गाजियाबाद महानगर व जिला का प्रभारी बनाया है। इनके अलावा आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी सुरेश अवस्थी को ललितपुर जिला प्रभारी तो कमलावती सिंह को इटावा का जिलाप्रभारी बनाया। इसके अलावा देवेश कोरी को हमीरपुर का प्रभार सौंपा गया है।

जिला प्रभारी की नियुक्तियों में ज्यादातर उन्हें दायित्व दिया गया। जिनका नाम लोकसभा चुनाव की टिकट के दावेदारों में लिया जाता है। कानपुर लोकसभा क्षेत्र से यदि भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी के नाम पर विचार नहीं करती है, तो अन्य दावेदारों के साथ ही पार्टी के हैवीवेट वैश्य समाज से सलिल विश्नोई का नाम लोग लेते हैं तो दबी जुबान से अरुण पाठक का नाम भी चर्चा में आ जाता है। दूसरी तरफ सांसद देवेंद्र सिंह भोले अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से टिकट कटने की स्थिति में मानवेंद्र सिंह और विधायक अभिजीत सिंह सांगा का नाम अभी भी चर्चा में है। खबर है कि देवेश कोरी इटावा से दावेदारी कर रहे थे कमलावती सिंह ठाकुर समाज से कानपुर लोकसभा क्षेत्र से दावेदार बतायी जाती हैं। हां सुरेश अवस्थी की दावेदारी फिलहाल नहीं सुनायी दीं यदि वह भीतर ही भीतर मन बनाएं हो तो, कहा नही जा सकता।

ये भी पढ़ें:- ‘रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का 22 जनवरी से अच्छा मुहूर्त हो ही नहीं सकता’ - डॉ. रमेश चिंतक