Bareilly News: नगर निगम के चीफ इंजीनियर का कार्यालय 'शापित'...नए साहब ने होटल में खोला ऑफिस!

Bareilly News: नगर निगम के चीफ इंजीनियर का कार्यालय 'शापित'...नए साहब ने होटल में खोला ऑफिस!

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम में नए मुख्य अभियंता पुनीत ओझा को करीब 20 दिन हो गए हैं लेकिन वह यहां अपने कार्यालय में बैठने के बजाय होटल में ही रहकर सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं। इसके पीछे अजीबोगरीब वजह यह बताई जा रही है कि उनसे पहले इस कार्यालय में बैठने वाले कई अफसर अलग-अलग गंभीर आरोपों में शासन की कार्रवाई का शिकार हो चुके हैं। लिहाजा इस कार्यालय को नगर निगम में अभिशप्त माना जाने लगा है।

नए मुख्य अभियंता कार्यभार संभालने के बाद से नगर निगम में अपने कार्यालय में नहीं बैठ रहे। इसके बजाय होटल में ही उनका कार्यालय चल रहा है। ठेकेदार हों या कर्मचारी, उनसे मिलने के लिए होटल ही जा रहे हैं। फाइलों पर हस्ताक्षर भी होटल में ही हो रहे हैं। 

नगर निगम से कर्मचारी रोज फाइलों का बंडल लेकर होटल पहुंचते हैं और वहीं मुख्य अभियंता के हाथों उनका निस्तारण होता है। ठेकेदारों को अपनी समस्याओं या बातचीत के लिए मुख्य अभियंता से मिलने के लिए होटल ही पहुंचना पड़ता है। नगर निगम स्थित मुख्य अभियंता कक्ष के बाहर सिर्फ उनके नाम की पट्टिका लगी रह गई है। ठेकेदार और पार्षद खुलकर कहते हैं कि वह इस कक्ष मिलते नहीं हैं।

दरअसल, नगर निगम में मुख्य अभियंता कार्यालय का ताजा इतिहास ही काफी विवादों में घिरा रहा है। करीब एक साल पहले तत्कालीन मुख्य अभियंता बीके सिंह को बगैर डिजाइन स्वीकृत कराए एक नाले का निर्माण शुरू कराकर लाखों रुपये बर्बाद कर देने और बजट से ज्यादा टेंडर स्वीकृत कर नगर निगम पर भारी देनदारी का बोझ लाद देने के आरोप में शासन के आदेश पर हटाया गया था। भ्रष्टाचार के कई और भी गंभीर आरोप उन पर लगे थे। यहां से हटाए जाने के बाद काफी समय तक उन्हें मुख्यालय से संबद्ध रखा गया।

बीके सिंह को हटाए जाने के बाद उनकी जगह प्रभारी मुख्य अभियंता बने एक्सईएन डीके शुक्ला ने इस कार्यालय में बैठना शुरू कर दिया। डीके शुक्ला का अपना कक्ष खाली हुआ तो उसे पर्यावरण अभियंता को दे दिया गया। डीके शुक्ला तीन महीने ही मुख्य अभियंता कार्यालय में बैठ पाए, इसके बाद शासन से जारी एक गलत आदेश की वजह से उन्हें यह कार्यालय छोड़ना पड़ा। डीके शुक्ला को इसके खिलाफ कोर्ट जाकर लड़ाई लड़नी पड़ी, तब कहीं शासन की ओर से उनके खिलाफ की गई कार्रवाई वापस ली गई।

इससे पहले भी मुख्य अभियंता कार्यालय में बैठने वालों अफसरों के साथ कुछ ज्यादा अच्छी नहीं बीती थी लिहाजा इस कार्यालय को लेकर नगर निगम में अफवाहें उड़नी शुरू हो गईं। अब नए मुख्य अभियंता के अपने कार्यालय में न बैठने के पीछे भी इन्हीं अफवाहों को वजह बताया जा रहा है।

डीके शुक्ला अब नगर निगम में चलते-फिरते इंजीनियर
प्रभारी मुख्य अभियंता बनाए गए डीके शुक्ला को कोर्ट में कानूनी लड़ाई के बाद उसी स्थान पर बहाल करने का आदेश दिया गया तो वह फिर मुख्य अभियंता कार्यालय में जम गए लेकिन छह फरवरी को पुनीत ओझा के यहां आने के बाद उन्हें फिर इस कार्यालय से हटना पड़ा। इसके बाद डीके शुक्ला को नगर निगम में कोई कार्यालय नहीं मिल पाया है। उन्हें अब नगर निगम का चलता-फिरता अभियंता कहा जाने लगा है। नगर निगम में मुख्य अभियंता और अधिशासी अभियंता दोनों के न बैठने से ठेकेदारों और पार्षदों की दिक्कत बढ़ गई है।

कभी आरोपों से पीछा नहीं छूटता निर्माण विभाग का
नगर निगम का निर्माण विभाग लंबे समय से आरोपों में घिरा हुआ है। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की अनदेखी के आरोप लगना तो आम बात है ही, खुद ठेकेदार भी निर्माण विभाग के इंजीनियरों पर कमीशनखोरी के लंबे समय से आरोप लगाते आ रहे हैं। हाल ही में नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में भी स्वास्थ्य विभाग के साथ निर्माण विभाग पर पार्षदों ने जमकर निशाना साधा था। इसके बाद मेयर ने चेतावनी भी दी थी। दिलचस्प बात यह है कि इसके बावजूद अफसरों पर कार्रवाई की वजह गड़बड़ियों के बजाय कथित रूप से अभिशप्त कार्यालय को माना जा रहा है।

मैं किसी अफवाह पर विश्वास नहीं करता। मैं हर रोज अपने कक्ष में बैठता हूं। होटल से कार्यालय चलने की बात गलत है।- पुनीत ओझा, मुख्य अभियंता नगर निगम

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