Banda: मुख्तार, अतीक व अशरफ के लिए काल बना रमजान माह; तीनों की मौतों में हैं और भी समानताएं...जानें

दोनों ही घटनाओं में जनपद का नाम कई दिनों तक सुर्खियों में रहा

Banda: मुख्तार, अतीक व अशरफ के लिए काल बना रमजान माह; तीनों की मौतों में हैं और भी समानताएं...जानें

बांदा, अमृत विचार। इसे इत्तेफाक कहें या फिर इन अपराधियों की किस्मत। प्रदेश के नामी तीन माफियाओं का खात्मा रमजान के पाक महीने में हुआ। उसी महीने में जिसमें गरीबों की मदद का स्वांग रच ये चारों मसीहा बने रहने का ख्वाब देखते थे। मुस्लिमों का पवित्र माह रमजान प्रदेश के कुख्यात माफियाओं के लिए काल साबित हुआ। 

अपहरण, लूट, हत्या और दहशत फैलाने वाले बड़े से बड़े प्रदेश के माफियाओं अतीक अहमद, अशरफ व मुख्तार अंसारी का अंत इसी महीने में हुआ। दोनों ही घटनाओं में जनपद का नाम कई दिनों तक सुर्खियों में रहा। लगभग एक साल पहले प्रयागराज में माफिया ब्रदर्स की हत्या में बांदा का युवक भी शामिल था। 

मुख्तार, अतीक और अशरफ। अपराध की दुनिया के तीन बड़े नाम। मगर अपराध के अलावा इन चारों के बीच एक रिश्ता ऐसा है जो इनको एक कतार में ला खड़ा करता है और वो रिश्ता है इन तीनों के खात्मे से जु़ड़ा। चाहे इसे इत्तेफाक कहें या फिर इन अपराधियों की किस्मत, इन चारों का खात्मा रमजान के पाक महीने में हुआ। 

माफिया मुख्तार के बारे में तो जेल अधिकारियों ने यहां तक बताया कि अपने आखिरी दिनों में मुख्तार जेल के अंदर भी रोजे रख रहा था। शायद मौत के डर और गुनाहों के बोझ ने उसे धर्म की पनाह लेने पर मजबूर कर दिया था। 26 मार्च को तबीयत बिगड़ने पर जब उसे अस्पताल ले जाया गया तब डॉक्टरों ने यहां तक कहा कि खराब सेहत रहते रोजा रखने से मुख्तार की तबियत ज्यादा खराब हुई। पर ऊपरवाले की बंदगी यहां भी काम नहीं आई और महज दो दिन बाद दिल का दौरा पड़ने पर मुख्तार दुनिया को अलविदा कह गया। 

यही अंजाम माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का हुआ। जहां अतीक पर सौ से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। अशरफ के खिलाफ भी हत्या, अपहरण और डकैती समेत कुल 52 मुकदमे चल रहे थे। उमेश पाल केस से जुड़े गवाह की हत्या के मामले में जब कोर्ट के आदेश पर दोनों भाई गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज पहुंचे तब भी रमजान का महीना चल रहा था। अतीक और अशरफ बार-बार पुलिस पर एनकाउंटर का शक जता रहे थे। मगर ऊपरवाले को शायद कुछ और ही मंजूर था। 

15 अप्रैल 2023 की रात तीन नौसिखिये शूटरों ने पुलिस कस्टडी में ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतार दिया। कुल मिला कर इन अपराधियों के लिए रमजान का महीना इनके गुनाहों के हिसाब-किताब का महीना बन कर आया। जिंदगी भर जुल्म और आतंक के बूते अपनी हुकूमत चलाने वाले ये कुख्यात माफिया ऊपरवाले की अदालत में मुकदमा हार गए और माफी के बजाए सजाए मौत मिली।

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