Kanpur: गंगा में गिर रहे अनटैप्ड सीवेज नाले, बायोरेमिडिएशन न होने से नदी के जल को कर रहे दूषित, इन घाटों पर हो रही लापरवाही

Kanpur: गंगा में गिर रहे अनटैप्ड सीवेज नाले, बायोरेमिडिएशन न होने से नदी के जल को कर रहे दूषित, इन घाटों पर हो रही लापरवाही

कानपुर, अमृत विचार। गंगा में गिर रहे छह अनटैप्ड सीवेज नालों में एक बार फिर जैविक शोधन (बायोरेमिडिएशन) का कार्य होते नहीं मिला है। यूपीपीसीबी के अधिकारियों की ओर से अप्रैल और मई में किये गये निरीक्षण में नालों के पास जैविक शोधन के लिये स्थापित डोजिंग प्लास्टिक टैंक में सीडिंग और माइक्रोबियल कल्चर नहीं मिला जो बायोरेमिडिएशन के लिये जरूरी है। 

यूपीपीसीबी ने नगर निगम पर्यावरण अभियंता को चेताया है कि यदि ऐसी ही लापरवाही बरती गई तो गंगा की जलगुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहेगा। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई के लिये लिखा है।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार कानपुर नगर में गंगा नदी में छह सीवेज नाले डब्का, सत्तीचौरा, गोलाघाट, रानीघाट, परमिया और भगवतदास गुप्तारघाट में जैविक शोधन (बायोरेमिडिएशन) का कार्य हो रहा है। यह कार्य नगर निगम द्वारा अनुबंधित संस्था मेसर्स विशान्त चौधरी कांट्रैक्टर जेवी, मेसर्स नेक्सजेन इन्फोवर्ड प्रा. लि. अलीगढ़ कर रही है। 

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि अप्रैल में आठ, पंद्रह और 22 तारीख को गंगा में मिलने वाले नालों का निरीक्षण किया तो एक भी नाले में बायोरेमिडिएशन का कार्य नहीं होता मिला है। मई में भी नालों की यही स्थिति है। नगर निगम को कई नोटिसों के बाद भी संबंधित कंपनी कार्य में लापरवाही बरत रही है। जिससे नालों का दूषित पानी सीधा गंगा में प्रवाहित हो रहा है। 

5 लाख महीना जुर्माना लगाने को लिखा पत्र

यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने गंगा नदी में गंदगी प्रवाहित करने में प्रतिमाह पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिये डीएम व संबंधित अधिकारियों को लिखा है। गंगा नदी की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये नगर निगम को कहा है।

क्या है बायोरेमिडियेशन

बायोरेमिडिएशन टेक्नोलॉजी में जैविक विधि से नाले के पानी को साफ किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी में कुछ ऐसे घास और पौधे होते हैं, जिनकी जड़ों में बैक्टीरिया पैदा होते हैं। बायोरिमेडिएशन टेक्नोलॉजी में केना घास समेत अन्य घास को नालों में लगाया जाता है। 

इसमें पनपने वाले बैक्टीरिया नालों में बहने वाली गंदगी को खाते हैं,  साथ ही सफाई में काफी सहायक हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) में भी इस विधि का इस्तमाल किया जाता है। बायोरेमिडियेशन कार्य में 73 लाख रुपये हर साल खर्च हो रहा है।

अनटैप्ड नालों से शोधन कार्य होता नहीं मिला है। नगर निगम से संबद्ध कंपनी की ओर से लापरवाही बरती जा रही है। हमने नगर निगम को कार्रवाई के लिये लिखकर दिया है। - अमित मिश्रा , क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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