अयोध्या में कम मतदान से भाजपा भौचक, कम हुये मतदान के अब तलाशे जा रहे निहितार्थ

अयोध्या में कम मतदान से भाजपा भौचक, कम हुये मतदान के अब तलाशे जा रहे निहितार्थ

इंदुभूषण पांडेय/अयोध्या, अमृत विचार। भाजपा हैरत में है। अयोध्या और राम मंदिर के मुद्दे पर जहां 2024 के चुनाव में पार्टी पूरे देश में फतह करने की सोच रही थी, वहीं अयोध्या में ही मतदाताओं ने भाजपा को निराश कर दिया है। फैजाबाद लोकसभा सीट की पांच विधानसभाओं में सबसे कम मतदान अयोध्या विधानसभा में हुआ। यह पिछले चुनाव से कम तो था ही सबसे हैरानी की बात यह है कि अयोध्या विधानसभा में भी देहात के मुकाबले महानगर में बेहद कम वोट पड़ा। अब पार्टी इसके निहितार्थ तलाश रही है। 

"जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे"... यह नारा भाजपा की तरफ से इस लोकसभा चुनाव में पूरे देश में लगाया जा रहा है। यहां तक कि फैजाबाद से सटे बाराबंकी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो मंच से यह नारा दोहराया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के बाद सर्वाधिक अगर कहीं का दौरा व प्रवास किए हैं तो वह अयोध्या ही है। राम मंदिर और अयोध्या का विकास उनके मुख्य एजेंडे में है। 

22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो यहां अयोध्या में 52 दिनों तक दर्जन भर मंचों से विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन हुए, जिसमें सरकार ने करोड़ों फूंके। एक तरह से माना जा रहा था कि इस सबसे भाजपा के लिए चुनाव में बेहतर माहौल पूरे देश में बनेगा, लेकिन हुआ ठीक उल्टा। मौजूदा चुनाव में फैजाबाद लोकसभा सीट पर 59.14 फीसद मतदान हुआ वहीं इस सीट की पांच विधानसभाओं में सबसे कम मतदान अयोध्या में हुआ जो पिछली बार की अपेक्षा 5.48 प्रतिशत कम है।

और तो और सबसे कम मतदान तो उस अयोध्या नगरी में हुआ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो हुआ था। भाजपा इससे हैरत में है  कि आखिर ये सब हुआ क्यों? तब जबकि अयोध्या के विधायक और अयोध्या के मेयर भी भाजपा के ही हैं। यही नहीं अब तक अयोध्या विधानसभा पर ही भाजपा की जीत का सबसे ज्यादा दारोमदार भी रहता रहा है।

अब अयोध्या में कम वोटिंग के कारण ढूंढे जा रहे हैं। कहा ये जा रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के एक महीना पहले से आज तक अयोध्या में जो अनावश्यक प्रशासनिक बंदिशें लोगों पर थोपी गईं उससे अंदर ही अंदर अयोध्या के लोगों में भारी नाराजगी है। यातायात प्रतिबंध और बैरियर लगाकर अयोध्या के लोगों का सामान्य जनजीवन कठिन कर दिया गया है।

अयोध्या हनुमानगढ़ी मार्ग पर रेलिंग लगने के बाद लड्डू व्यापारी वर्ग खासा नाराज हुआ। वहीं दूसरी तरफ रामपथ, धर्मपथ, पांच कोसी परिक्रमा, चौदह कोसी परिक्रमा आदि के निर्माण व चौड़ीकरण में बड़े पैमाने पर लोग प्रभािवत हुए, जिनके दुकान व मकान ध्वस्त किए गए। इन मामलों में उचित मुआवजा और विस्थापन में भारी कीमत विस्थापितों को चुकाने का खामियाजा भी कम मतदान के रूप में सामने आया है। कुछ मिलाकर फैजाबाद और अयोध्या, जिसे मिलाकर अब महानगर बना दिया गया है, यह भाजपा का ही गढ़ माना जाता है। यहां पर कम मतदान भाजपा के लिए चिंता का सबब है।

वहीं तीसरा अहम कारण चर्चा में उभरकर अब यह आ रहा है कि महानगर में पार्टी के पार्षदों से लेकर बूथ कमेटियों और पन्ना प्रमुखों ने भी उस लगन से इस चुनाव में काम नहीं किया, जैसा पहले जुटकर करते थे। इस बार संतों, महिलाओं व संघ के लोगों की टोलियां भी चुनाव प्रचार में पहले ही तरह निकली हों ऐसा नहीं दिखा। फिलहाल संघ और संगठन इस पर बहुत गहन मंथन कर रहा है।

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