शाहजहांपुर: अमीरों के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ेंगे 530 गरीबों के बच्चे, लॉटरी सिस्टम में 140 चयनित

शाहजहांपुर: अमीरों के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ेंगे 530 गरीबों के बच्चे, लॉटरी सिस्टम में 140 चयनित

शाहजहांपुर, अमृत विचार: जिले के 530 बच्चों की शिक्षा की राह में गरीबी रोड़ा नहीं बनेगी। आरटीई के तहत अमीरों के कहे जाने वाले इंग्लिश मीडियम स्कूलों में 530 गरीब बच्चे इस सत्र भी पढ़ेंगे। इन्हें अब तक दो चरणों में हुई प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जा चुका है। अब तीसरे चरण की प्रक्रिया चल रही है।

 बता दें कि आरटीई अधिनियम बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए वर्ष 2009 में लाया गया था। इसका उद्देश्य जरूरतमंद बच्चों को सरकारी स्कूलों से इतर अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिलाना था। कारण यह था कि तमाम बच्चे योग्यता रखने के बावजूद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नहीं पढ़ पाते थे। ऐसा इसलिए होता था कि उनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती थी, जो वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिला सकें। 

अभिभावकों की इस विवशता को देखते हुए सरकारी खर्चे पर योग्य बच्चों को उन्हीं के वार्ड/ग्राम पंचायत में संचालित स्कूलों दाखिला दिलाकर उच्च शिक्षा दिलाने का निर्णय लिया गया। योजनांतर्गत जिले में भी प्रति शैक्षिक सत्र में प्री प्राइमरी से कक्षा एक में इच्छित बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाती है। निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए स्वीकृत आवेदन पत्रों की लॉटरी सिस्टम में नाम निकाले जाते हैं और बाद में स्कूल आवंटन कर दिया जाता है।

 बीएसए कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले चरण में अलाभित समूह के बच्चों के प्रवेश के लिए 775 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें जांच के बाद 764 आवेदन स्वीकृत किए गए। लॉटरी सिस्टम में 284 बच्चों का चयन हुआ। इसी तरह द्वितीय चरण में 556 आवेदन आए, जिसमें 513 स्वीकृत हुए और लॉटरी के माध्यम से 246 बच्चों को स्कूल आवंटित कर दिए गए। 

यानी अब तक 530 बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चुका है। तीसरा चरण गतिमान है। तीसरे चरण में 425 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें 409 स्वीकृत हुए। स्वीकृत आवेदनों में लॉटरी के माध्यम से 140 का चयन हो चुका है। अभी इनकी सूची जारी नहीं हो सकी है। योजनांतर्गत पिछले शैक्षिक सत्र में 887 बच्चों को लाभान्वित किया गया था।

आरटीई के अंतर्गत निजी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों को सरकार की ओर से संबंधित शिक्षण संस्थान को अधिकतम 450 रुपए बतौर मासिक शुल्क भेजा जाता है, जबकि बच्चों की किताबों, यूनिफार्म आदि के लिए संबंधित बच्चे के अभिभावक के खाते में पांच हजार भेजे जाते हैं। आवश्यकतानुसार स्कूल संचालक भी अपने स्तर से स्टेशनरी आदि उपलब्ध करा देते हैं।

आरटीई के तहत तीसरे चरण की भी लॉटरी निकाली जा चुकी है। शीघ्र ही चयनित बच्चों की सूची जारी कर दी जाएगी। पहले दो चरणों की लॉटरी के हिसाब से बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाए जा चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाती है। लॉटरी डीएम की मौजूदगी में निकाली जाती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे- रणवीर सिंह, बीएसए

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