दिव्यांगों को मिलेगा रोजगारः पुनर्वास विश्वविद्यालय ने शुरू किए दो नए कोर्स, रोजगार की राह हुई आसान

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Published By Muskan Dixit
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डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि शुरू करने जा रहा है। डीआईएसएलआई और डीआईएसएल के दो नए कोर्स शुरू हो रहे हैं। भारतीय पुनर्वास परिषद ने कोर्स को संचालित करने की अनुमति दे दी है। विभागीय अधिकारियों ने इसके लिए विश्वविद्यालय का भ्रमण भी किया।

लखनऊ, अमृत विचार: दिव्यांगों के लिए पुनर्वास विश्वविद्यालय के दो नए कोर्स शुरू कर रहा है। दोनो कोर्स दिव्यांगों को रोजगार के साथ राहत भरी उम्मीदें लेकर आए हैं। विवि के प्रवक्ता ने कहा कि इसकी मदद से छात्रों को सीखने, समझने और समझाने का मौका मिलेगा। प्रशिक्षण पूरा होने पर दिव्यांगों को आसानी से रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। विवि को नए सत्र के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद (रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया) से पाठयक्रमों के संचालन की मान्यता मिल गई है।

डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. यशवंत विरोदय का कहना है कि डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन (डीआईएसएलआई) और डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (डीटीआईएसएल) के दो कोर्स पहली बार आरंभ होने जा रहे हैं। इसी सत्र से शुरू होने वाले दो कोर्सों के माध्यम से छात्रों को भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएलआई) सिखाने के लिए तैयार किया जाएगा। पाठ्यक्रम के तहत स्नातक छात्रों को आईएसएल के उपयोग में आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस कराया जाएगा, ताकि वे बधिर और सुनने वाले व्यक्तियों को शिक्षित करने में सहायता प्रदान कर सकें। विवि में प्रशिक्षण पूरा होते ही कैंपस चयन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।

स्वास्थ्य केंद्रों के लिए तैयार किये जाएंगे छात्र
डॉ. यशवंत विरोदय ने बताया कि डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन (डीआईएसएलआई) और डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (डीटीआईएसएल) प्रशिक्षण पाने वाले स्नातक स्कूलों, विश्वविद्यालयों, सामुदायिक केंद्रों, बधिर शिक्षा और वकालत पर केंद्रित संगठनों में आईएसएल शिक्षकों के रूप में कॅरियर बनाने के लिए तैयार किये जाएंगे। ये बधिर व्यक्तियों के लिए भाषाई और सांस्कृतिक सुलभता को बढ़ावा देने और समाज में अधिक समावेशिता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

तीस-तीस सीटें आवंटित            
नए सत्र में शुरू हो रहे डिप्लोमा इन इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन (डीआईएसएलआई) कोर्स के लिए 30 सीटें आवंटित की गई हैं। वहीं डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (डीटीआईएसएल) में भी अभ्यर्थियों के लिए 30 सीटें दी गई हैं। दोनों ही पाठ्यक्रम शैक्षणिक सत्र 2024 -25 से शुरू किये जाएंगे। पैरामेडिकल एवं रिहैबिलिटेशन संकाय के अधिष्ठाता प्रो. वीके सिंह ने बताया कि पाठ्यक्रमों में आवेदन को लेकर विश्वविद्यालय जल्द ही वेबसाइट पर प्रक्रिया अपलोड कर दी है।

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