कानपुर : राजनीति के पथ पर अभी 'चुके' नहीं हैं पचौरी..
विशेष संवाददाता, कानपुर : पांच दशक से भी अधिक भाजपा की सक्रिय राजनीति में रमे पूर्व संसद सत्यदेव पचौरी को पार्टी ने राष्ट्रीय परिषद का सदस्य मनोनीत किया है, यह ओहदा संगठन के लिए सक्रिय रहते हुए सौंपे गए दायित्व निभाने के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, देश के कुल 120 दिग्गज नेताओं को सदस्य बनाया गया।
प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुना जाना है। इसी कड़ी में देश-प्रदेश के दिग्गज नेताओं को परिषद में मनोनीत किया गया है, जिसमें पचौरी भी हैं। लोकसभा चुनाव के बाद पचौरी की राजनीतिक पारी का अंत माना जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीसामऊ सीट पर उपचुनाव में अपने बेटे अनूप के लिए टिकट की कोशिश की थी । इस पर विचार भी हो रहा था, पर इसी बीच उनकी पुत्री नीतू सिंह ने भी इसी सीट से दावा कर दिया।
एक ही सीट से भाई-बहन के दावे से जहां पार्टी नेतृत्व आवाक था, वहीं पचौरी भी असहज हो गए। उन्हें भी नहीं पता था कि बिटिया भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है। पार्टी के भीतर पचौरी विरोधी खेमा सक्रिय हो गया और माहौल बनाया कि ज़ब घर में एका नहीं है तो चुनाव में इसका असर पड़ सकता है। इसका नतीजा यह हुआ कि न भाई को टिकट मिला न बहन को। भाजपा की स्थानीय राजनीति में उनका सतीश महाना से छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है।
लोकसभा चुनाव में पचौरी का टिकट काट कर रमेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया गया। पचौरी को किसी ओहदे में समायोजित करने का आश्वासन दिया था, पर वह इंतज़ार करते रहे, इससे एक तरफ उनके समर्थक निराश थे तो विरोधी कहने लगे कि अब इनका ज़माना गुज़र गया। अब जैसे ही पचौरी का राष्ट्रीय परिषद में मनोनयन हुआ, उन्हें बधाई देने वाले भाजपाइयों का तांता लगा है और ऐसे संदेशों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है। राष्ट्रीय परिषद में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, कुछ मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को सदस्य बनाया जाता है।
पचौरी का मनोनयन बताता है कि वह अभी भी पार्टी की नज़र में हैं और आला कमान के भरोसेमंद भी हैं। नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पचौरी को कोई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी मिल सकती है, उनका नाम राज्यपाल के लिए भी चर्चा में आ चुका है, पचौरी को लेकर पार्टी में फिर हलचल है।
कई ओहदों पर रहे
एसडी कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे और शपथ ग्रहण समारोह में लिए अटल बिहारी वाजपेई को आमंत्रित किया था। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे, विधायक बने और फिर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी। 2019 में संसद बने और केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण समितियों में भी रहे। संघ से छात्र जीवन में ही जुड़ गए थे।
-मैं पार्टी का सिपाही
सत्यदेव पचौरी का कहना है कि पार्टी के आदेश का पालन मेरा धर्म है। जो भी दायित्व मिला हमेशा ईमानदारी से निभाया और ताजिंदगी ऐसा ही करूंगा। पूरी ऊर्जा, उमंग और उत्साह से काम करूंगा।
