प्रयागराज : जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी शिक्षिका के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर रोक

प्रयागराज : जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में आरोपी शिक्षिका के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर रोक

अमृत विचार, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दसवीं कक्षा के एक छात्र के साथ यौन संबंध बनाने तथा जबरन धर्मांतरण कराने की आरोपी शिक्षिका को राहत देते हुए कहा कि धर्मांतरण जैसे गंभीर आरोप लगाने की परंपरा आजकल सबक सिखाने और परेशान करने के उद्देश्य से विकृत रूप लेती जा रही है।

उक्त टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने आईपीसी, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम तथा पोक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज मामले में आरोपी शिक्षिका की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। बता दें कि मौजूदा मामले में कोर्ट ने उक्त स्कूल के प्रिंसिपल को पहले ही राहत दे दी है।

बहस के दौरान कोर्ट को याची के अधिवक्ता ने बताया कि जांच में पता चला कि शिक्षिका के खिलाफ छात्र के आरोप मनगढ़ंत थे। उसने डांस कांप्टीशन के दौरान शिक्षिका का मोबाइल नंबर हासिल किया और फर्जी आईडी बनाकर चैटिंग शुरू कर दी। मामला उजागर होने के बाद उसने शिक्षिका पर ही जबरन धर्मांतरण और यौन संबंध बनाने के आरोप लगाये। हालांकि कोर्ट ने जांच रिपोर्ट में पाया कि छात्र नाबालिग होने के बावजूद मानसिक रूप से मजबूत है और दूसरों पर हावी होने वाली प्रकृति का है।

इस कारण कोर्ट ने उक्त याचिका पर सरकार से जवाब तलब करते हुए याची के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी है और मामले को आगामी 10 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है, साथ ही कानपुर के पुलिस आयुक्त को उक्त जांच साइबर सेल को सौंपने का निर्देश दिया है। इसके अलावा याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची ने भी छात्र के खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है।

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