Bareilly News: बेटी पढ़ाओ, लेकिन पहले एनीमिया से बचाओ

Bareilly News: बेटी पढ़ाओ, लेकिन पहले एनीमिया से बचाओ

अंकित चौहान, बरेली, अमृत विचार। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा बुलंद किया जा रहा है। इसके लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन अगर बेटियां स्वस्थ नहीं होंगी तो कैसे आगे बढ़ेंगी, क्योंकि जिला महिला अस्पताल स्थित अर्श क्लिनिक पर आने वाली अधिकांश किशोरियां एनीमिया से ग्रसित मिल रही हैं। शासन की ओर से चलाए जा रहे एनीमिया मुक्त भारत अभियान को पलीता लगाया जा रहा है।

अर्श क्लिनिक पर हर माह 350 से अधिक किशोरी काउंसिलिंग के लिए आ रही हैं। परामर्श के दौरान उनकी खून की जांच कराई जा रही है, जिसमें करीब 145 किशोरियां एनीमिया से ग्रसित मिल रही हैं। खास बात है कि इनमें 15 से 19 वर्ष की किशोरियों की संख्या अधिक है।

क्लिनिक काउंसलर अल्पना सक्सेना के अनुसार मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्त बहने, फास्ट फूड का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियां न करके मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल और असंतुलित खानपान मरीजों में एनीमिया का मुख्य कारण बन रहा है। हालांकि मरीजों को दवा के साथ उचित देखभाल करने और एनीमिया के लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने को कहा जा रहा है।

अनदेखी हो सकती है जानलेवा
वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला शर्मा के अनुसार किशोरावस्था में शरीर विकसित हो रहा होता है, ऐसे में अगर किशोरी एनीमिया की चपेट में आ जाती हैं शरीर का विकास प्रभावित होगा। वहीं, मां बनने के स्तर पर एनीमिया के चलते गर्भावस्था में भी जटिलताएं सामने आएंगी। एनीमिया से शरीर के अन्य अंगों पर भी गंभीर असर पड़ता है, इसलिए परिजनों को 10 वर्ष के उम्र से ही बेटी के दिनचर्या और खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

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