मेडिकल कॉलेज के क्लीनिकल विभागों में शिक्षकों की कमी, संविदा पर होनी है भर्ती

मेडिकल कॉलेज के क्लीनिकल विभागों में शिक्षकों की कमी, संविदा पर होनी है भर्ती

लखनऊ, अमृत विचारः प्रदेश के अधिकांश सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों का अभाव है, शासन के निर्देश पर कॉलेजों को साक्षात्कार के जरिए संविदा पर शिक्षकों की भर्ती करनी हैं, लेकिन कॉलेज को शिक्षक ही नहीं मिल पा रहे हैं। यहीं स्थिति रही तो छात्रों को विषय विशेषज्ञ शिक्षकों के अभाव से गुणवत्ता युक्त शिक्षा कैसे मिलेगी। वहीं इस विषय पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी।

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा मानक अनुरूप शिक्षक पूरे न होने की दशा में बीते दिनों कॉलेजों पर जुर्माना लगाया जा चुका है। जिसके बाद राज्य सरकार ने साक्षात्कार के जरिए, संविदा पर नियुक्त करने के निर्देश दिए थे, लगभग एक महीना बीतने को है, कॉलेजों में शिक्षकों की संख्या पूरी नहीं हो पाई है।

नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक कॉलेज के प्रधानाचार्य का कहना है कि सरकारी नौकरी में सख्त नियमों की वजह से कोई डॉक्टर नहीं आना चाह रहे हैं। उन्होंने बताया कि निजी कॉलेजों में शिक्षकों को बेहतर वेतन के साथ कई तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिसकी वजह से शिक्षक आनाकानी कर रहे हैं। एक दूसरे प्रधानाचार्य का कहना है कि उनके शिक्षकों की संख्या तो पूरी हैं, मगर विभागवार शिक्षकों की कमी है। नॉन क्लीनिकल शिक्षक पर्याप्त हैं, वहीं न्यूरो सर्जरी, मेडिसिन, सर्जरी व अन्य कई विभाग में शिक्षक आ ही नहीं रहें हैं।

एनएमसी के नए मानक के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में हर विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट व दो असिस्टेंट प्रोफेसर होने चाहिए, अर्थात कॉलेज में 17 प्रोफेसर और कुल 86 चिकित्सा शिक्षकों की जरूरत है। साथ ही 40 सीनियर रेजीडेंट होने चाहिए। वर्तमान में प्रदेश में 35 सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, इनमें राजकीय मेडिकल कॉलेजों के हालात खराब हैं।

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